अब से लोकसभा और राज्यसभा में जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट और यहां तक कि शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, भ्रष्ट, नाटक, पाखंड और अक्षम जैसे शब्दों का करना असंसदीय कहलाएगा। समय-समय पर लोकसभा सचिवालय अभद्र या असंसदीय शब्दों की लिस्ट तैयार करके शेयर करती है। हालांकि यह कोई आदेश नहीं होता है। इस बार लोकसभा सचिवालय की नई बुकलेट में इस बार ये शब्द शामिल किए गए हैं। विपक्ष ने इसकी आलोचना की है।पढ़िए कौन-कौन से शब्द असंसदीय माने गए...
नई दिल्ली. संसद(Parliament) की अपनी एक मर्यादा होती है। यहां मेंबर्स उन शब्दों का इस्तेमाल करने से बचते हैं, जो अकसर हमलोग बाहर एक-दूसरे का उपहास उड़ाने या नीचा दिखाने करते हैं। समय-समय पर लोकसभा सचिवालय अभद्र या असंसदीय शब्दों लिस्ट जारी करती है। लोकसभा सचिवालय की नई बुकलेट में जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट और यहां तक कि शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, भ्रष्ट, नाटक, पाखंड और अक्षम जैसे शब्दों को अससंदीय माना गया है। अंग्रेजी शब्दों में लिखें, तो jumlajeevi, baal buddhi, Covid spreader, Snoopgate, ashamed, abused, betrayed, corrupt, drama, hypocrisy and incompetent जैसे शब्दों को अब असंसदीय(Unparliamentary words) माना जाएगा। यानी अब से लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ये शब्द असंसदीय कहलाएंगे। हालांकि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने संसद में इन शब्दों के इस्तेमाल को लेकर दिए गए गैग ऑर्डर(gag order) का मजाक उड़ाते हुए कहा कि अब मोदी सरकार की आलोचना करने वाले सभी शब्द असंसदीय कहलाएंगे।
विपक्ष ने जताया विरोध, दिए ये कमेंट़्स
इस कदम की आलोचना करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "मोदी सरकार की हकीकत बयां करने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इन शब्दों को अब 'असंसदीय' माना जाएगा। आगे क्या विश्वगुरु(What next Vishguru)।"
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने एक न्यूज की रिपोर्ट शेयर करते हुए कहा, ''साहेब अपने गुणों को अच्छी तरह जानते हैं।''
कांग्रेस ने हिंदी में ट्वीट करते हुए कहा, 'जुमलाजीवी' से कौन डरेगा-जिसने जुमले दिए? जयचंद शब्द से कौन डरेगा-जिसने देश को धोखा दिया। संसद में इन शब्दों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है, बल्कि पीएम मोदी का डर बाहर आ रहा है।"
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, "कुछ दिनों में सत्र शुरू हो जाता। सांसदों पर गैग आदेश जारी।" TMC लीडर ने यह भी कहा-"अब, हमें संसद में भाषण देते समय इन बुनियादी शब्दों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी-शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, धोखा, भ्रष्ट, पाखंड, अक्षम। लेकिन मैं इन सभी शब्दों का उपयोग करूंगा। मुझे निलंबित करें। हम लोकतंत्र के लिए लड़ेंगे।
कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने ट्विटर पर कहा, "संसद में 'प्रतिबंधित शब्दों' की नई लिस्ट आलोचना और सच्चाई को नियंत्रित करने के लिए भाजपा सरकार की बेताब कोशिश है। भाजपा सरकार चाहती है कि संसद जवाबदेही के बजाय 'यस मैन' चैंबर और 'चीयरलीडिंग स्टेडियम' में बदल जाए।"
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी ने ट्वीट किया, "शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, भ्रष्ट, नाटक, पाखंड, अक्षम जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर, दोहरा चरित्र, निकम्मा, नौटंकी, ढिंडोरा पीटना, बहरी सरकार कई शब्दों में से एक हैं, जो अब असंसदीय कहे जाए। देश में क्या हो रहा है?"
बता दें कि अभिव्यक्ति के तौर पर लिस्टेड असंसदीय शब्दों का संकलन 18 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र से पहले आया है। इसके तहत दोनों सदनों में वाद-विवाद के दौरान या अन्य कभी अराजकतावादी, शकुनि, तानाशाही, तानाशाह, जयचंद, विनाश पुरुष, 'खालिस्तानी और 'खून से खेती जैसे शब्दों का इस्तेमाल असंसदीय कहलाएगा। जरूरत पड़ी, तो मेंबर को सदन से निष्कासित भी किया जा सकता है।
वैसे यह जानना भी जरूरी है
विपक्ष ने संसद में असंसदीय शब्दों के संकलन को लेकर जो हंगामा किया, उसे लेकर हैरानी होना लाजिमी है। वजह, यह लिस्ट हर साल जारी की जाती है। विपक्ष ने इसके तथ्यों की पड़ताल तक नहीं की। यह लिस्ट किसी के सुझाव के आधार पर तैयार नहीं होती है। बल्कि लोकसभा, राज्य सभा या राज्य विधानसभाओं में पहले से हटाए गए शब्दों का एक संकलन भर है। यानी यह पुस्तिका केवल शब्दों का संकलन है, सुझाव या आदेश नहीं। इसमें राष्ट्रमंडल देशों की संसदों में असंसदीय माने जाने वाले शब्दों की सूची भी शामिल है। ये उदाहरण देखिए...
दुर्व्यवहार को ऑस्ट्रेलिया के प्रतिनिधि सभा में असंसदीय माना जाता था
क्यूबेक की नेशनल असेंबली में बचपने को असंसदीय माना जाता था
पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में लॉलीपॉप शब्द को बाहर कर दिया गया था
अंट-शंट शब्द को छत्तीसगढ़ विधानसभा से बाहर किया गया था
अनपढ़-अनर्गल शब्द को को राजस्थान विधानसभा में नहीं बोला जा सकता है
गौरतलब है कि इनमें से अधिकांश शब्दों को यूपीए सरकार के दौरान भी असंसदीय माना जाता था।
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