Goa Election 2022: गोवा में एक चरण में विधानसभा चुनाव, 14 फरवरी वोटिंग और 10 मार्च को काउंटिंग, ECI ने कहा...

गोवा में 40 विधानसभा सीटें हैं और 2 जिले हैं। विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को समाप्त हो रहा है। राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2017 में हुआ था। कांग्रेस 15 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन वो सरकार नहीं बना सकी। 

पणजी। गोवा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड समेत मणिपुर में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। गोवा में भी चुनाव (Goa Assembly Election 2022) का बिगुल बज गया है। राज्य की 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे। गोवा में एक चरण में 14 फरवरी को मतदान होगा। चुनाव के परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।

चुनाव आयुक्त ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 7, मणिपुर में 2, पंजाब-उत्तराखंड और गोवा में 1-1 चरण में मतदान होगा। 10 मार्च को नतीजे आएंगे। यूपी में 7 चरणों में 10 फरवरी से 7 मार्च तक मतदान होगा। पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को मतदान और मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को मतदान होगा।

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15 जनवरी तक जनसभाओं पर रोक
चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां डिजिटल, वर्चुअल तरीके से चुनाव प्रचार करें। 15 जनवरी तक किसी तरह की रैली, रोड शो और पदयात्रा नहीं होगी। नुक्कड़ सभा, बाइक रैली पर भी रोक लगाई है। कैंपेन में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है।  घर-घर जाकर 5 लोगों को प्रचार करने की अनुमति होगी। जीत के बाद विजय जुलूस पर रोक रहेगी। ज्यादा से ज्यादा वर्चुअल सभाएं करने पर जोर दिया है। वर्चुअल रैली के जरिए प्रचार होगा। डोर टू डोर कैंपेन के लिए 5 लोगों की इजाजत होगी। चुनाव में पदयात्रा, साइकिल रैली, बाइक रैली, नुक्कड़ सभा और रोड शो पर रोक लगा दी गई है। इन जनसभाओं पर 15 जनवरी तक रोक लगाई है। रात 8 बजे के बाद चुनाव प्रचार पर भी रोक है। कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई होगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि कोरोना में चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण है। लेकिन कोरोना के बीच चुनाव करना हमारा कर्त्तव्य है। पांचों राज्यों में 18.3 करोड़ मतदाता वोटिंग करेंगे। इनमें 8.55 करोड़ महिलाएं हैं।
पूरी चुनाव प्रक्रिया कोविड प्रोटोकॉल के तहत कराई जाएगी। 5 जनवरी को मतदाता सूची प्रकाशित हो गई। बूथ पर खास व्यवस्थाएं कराई गई हैं। यूपी में 29% मतदाता पहली बार वोटिंग करेंगे। पोलिंग बूथ ग्राउंड फ्लोर पर बनाए जाएंगे। थर्मल स्क्रीनिंग, मास्क और सैनिटाइजर भी व्यवस्था की जाएगी। 2 लाख 15 हजार से ज्यादा पोलिंग बूथ होंगे। हर मतदान केंद्रों पर अधिकतम 1250 वोटर ही होंगे। 16% पोलिंग स्टेशन बढ़ाए गए हैं। इस बार महिला वोटर्स की भागीदारी बढ़ी है। 
 
CEC सुशील चंद्र ने कहा कि पांच राज्यों की 690 विधानसभा सीटों पर मतदान होने वाला है। कोरोना के चलते नए प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। हमने इस बार तीन उद्देश्यों पर काम किया है। कोविड फ्री चुनाव, मतदाताओं की सहूलियत और अधिकतम मतदाताओं की भागीदारी। कुल 24.9 लाख मतदाता पहली बार वोट डालेंगे। इनमें से 11.4 लाख लड़कियां पहली बार वोटर बनीं हैं। उम्मीदवार चुनाव में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे। इसके साथ ही पार्टियों को अपने होम पेज पर आपराधिक आरोप वाले उम्मीदवारों की जानकारी देनी होगी। सभी राजनीतिक दलों के लिए ‘सुविधा’ ऐप बनाया गया है। ये चुनाव में धांधली रोकेगा। अवैध शराब और पैसे पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

ऑनलाइन नामांकन जमा करने की ऑप्शनल सुविधा
उम्मीदवारों को नामांकन ऑनलाइन जमा करने की ऑप्शनल सुविधा मिलेगी। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को अखबारों, टीवी चैनलों पर प्रचार अभियान की अवधि के दौरान तीन बार अपने खिलाफ लंबित मुकदमों की जानकारी देनी होगी। राजनीतिक दलों को भी यह बताना होगा कि ऐसी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को उन्होंने क्यों चुना है? ऐसे उम्मीदवारों की जानकारी know your candidate एप पर भी उपलब्ध होगी। इस चुनाव में हर बूथ पर मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था होगी। चुनावी खर्च सीमा बढ़ाकर 40 लाख की गई है। 900 ऑब्जर्वर नियुक्त किए जाएंगे।

हर विधानसभा में एक मतदान केंद्र महिला स्टाफ संभालेंगी
हर विधानसभा में एक पोलिंग बूथ पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित किया जाएगा। ये महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बेहतर होगा। दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की भी व्यवस्था की जाएगी। साथ ही कोविड संक्रमित व्यक्तियों के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। वहीं बैटल पेपर के जरिए वोटिंग की व्यवस्था होगी। 690 निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे 1620 मतदान केंद्र होंगे। 11.04 लाख महिलाएं पहली बार मतदान करेंगी। 

80+ बुजुर्गों और कोविड मरीजों को पोस्टल बैटेल की सुविधा
इस बार 1250 मतदाताओं पर एक बूथ बनाया गया है। 1620 बूथ को महिला पोलिंग कर्मी मैनेज करेंगी। चुनाव आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के अलावा 80 साल से ज्यादा उम्र के नागरिकों, दिव्यांगों और कोविड मरीजों के लिए पोस्टल बैलेट की व्यवस्था की है। 

कोरोना पॉजिटिव घर पर ही डाल सकेगा वोट
सभी बूथ पर पुरुष और महिला सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे। कोरोना मरीज या संदिग्ध के घर वीडीओ टीम के साथ चुनाव आयोग की टीम विशेष वैन से जाएगी और वोट डलवा कर आएगी। इन्हें बैलेट पेपर से वोट डालने का अधिकार मिलेगा। संवेदनशील बूथों पर पूरे दिन वीडियोग्राफी होगी। पांचों राज्यों में एक लाख से ज्यादा बूथों पर लाइव वेबकास्ट होगा। ऑब्जर्वर भी ज्यादा संख्या में तैनात होंगे।

कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटें जीती, मगर सीएम नहीं बना सकी
गोवा में 40 विधानसभा सीटें हैं और 2 जिले हैं। विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को समाप्त हो रहा है। राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2017 में हुआ था। कांग्रेस 15 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन वो सरकार नहीं बना सकी। बीजेपी ने 13 सीटें जीतीं और वो एमजीपी, जीएफपी और दो निर्दलीय विधायकों के सहारे सरकार बनाने में सफल रही। मनोहर पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 17 मार्च 2019 को मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद डॉ. प्रमोद सावंत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।

अभी ऐसा है गोवा विधानसभा चुनाव का गणित
गोवा को 30 मई 1987 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। वर्तमान में यहां 7वीं विधानसभा अस्तित्व में है। गोवा में पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस को कुल 17 सीटें, भाजपा को 13, MGP को 3, GFP को 3, निर्दलीय को 3 और NCP को 1 सीट प्राप्त हुई। चुनाव के बाद भाजपा के नेतृत्व में NDA गठबंधन की सरकार बनी, जिसमें MGP, GFP व निर्दलीय सहयोगी भूमिका में आए। विधानसभा में इस समय भाजपा के 27, कांग्रेस के 3, निर्दलीय 3, GFP के 2, MGP का 1 और तृणमूल का 1 विधानसभा सदस्य है। 3 विधानसभा सीटें अभी रिक्त हैं। 

इस बार अलग समीकरण
इस बार कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं, बल्कि ममता बनर्टी की टीएमसी और आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी गोवा में पिछले 10 सालों से सत्ता में है, जिसके चलते उसे सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पूरी ताकत के साथ चुनावी अभियान संभाले हैं। वहीं, कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए रणनीति बना रही है। लेकिन, टीएमसी उसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनी है। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए हैं। 2017 में आम आदमी भले ही खाता नहीं खोल सकी थी, लेकिन इस बार चुनावी समीकरण बदलने की कोशिश में है।

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