नोबेल पुरस्कार की खबर सुनने के बाद सोने चले गए थे अभिजीत, क्लासमेट ने सुनाया बचपन का किस्सा

अभिजीत बनर्जी सोमवार की सुबह स्टॉकहोम से नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने की खबर मिलते ही वह सोने चले गए। उन्हें उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड के प्रोफेसर माइकल क्रेमर के साथ अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया गया है।
 

न्यूयॉर्क(New York). अभिजीत बनर्जी सोमवार की सुबह स्टॉकहोम से नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने की खबर मिलते ही वह सोने चले गए। उन्हें उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड के प्रोफेसर माइकल क्रेमर के साथ अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया गया है।

बनर्जी ने नोबेलप्राइज डॉट ऑर्ग को दिए साक्षात्कार में कहा, "हां, यह सुबह की बात है। मैं इतनी सुबह नहीं जगता। मैंने सोचा कि अगर मैं सोया नहीं तो गड़बड़ हो जाएगी।"

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न्यूयॉर्क के समय के मुताबिक सोमवार सुबह छह बजे तीनों को 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि वह ज्यादा नहीं सो पाए क्योंकि उनको सम्मानित करने की खबर भारत से यूरोप तक फैल गई और उन्हें फोन आने लगे।

यह पूछने पर कि बनर्जी और डुफ्लो को विवाहित दंपति के तौर पर नोबेल हासिल हुआ है तो उन्होंने इसे "विशेष" करार दिया। नोबेल पुरस्कार के इतिहास में केवल पांच अन्य विवाहित दंपतियों को यह प्राप्त हुआ है।


क्लासमेट और टीचर ने सुनाया बचपन का किस्सा
कोलकाता में जश्न का माहौल है। उनकी एक सहपाठी और एक स्कूल शिक्षक ने कहा कि बनर्जी स्कूल में अध्ययन के समय अंतर्मुखी और विनम्र थे तथा वह बचपन से ही उत्कृष्ट विद्यार्थी थे। साउथ प्वाइंट स्कूल में बनर्जी की सहपाठी रहीं शर्मिला डे ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि 1971 से 78 तक वह और बनर्जी एक ही कमरे में पढ़े।

उन्होंने कहा, "जिस तरह वह (बनर्जी) कक्षा में गणित के सवालों का हल निकालते थे, हम उससे हमेशा प्रभावित रहते थे। पढ़ाई के अतिरिक्त वह खेल, खासकर फुटबाल में भी रुचि लेते थे।" भारतीय-अमेरिकी अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और एक अन्य अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।

बनर्जी की गणित की शिक्षक दीपाली सेनगुप्ता ने याद करते हुए कहा कि कक्षा आठ में किस तरह एक "अंतर्मुखी और विनम्र लड़का" पलभर में सवाल को हल कर देता था।

उन्होंने कहा कि बनर्जी में उत्कृष्टता के गुण बचपन से ही दिखने लगे थे। यह पूछे जाने पर कि क्या स्कूल के बाद वह नोबेल विजेता के संपर्क में थीं, उन्होंने इसका जवाब 'न' में दिया। सेनगुप्ता ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि उन्हें अब भी गणित की अपनी स्कूल अध्यापिका याद होगी।"

 

[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]

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