2012 बैच के आईएएस अधिकारी गोपीनाथ कन्नन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। वह अभी संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली में तैनात थे।
सूरत. 2012 बैच के आईएएस अधिकारी गोपीनाथ कन्नन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। वह अभी संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली में तैनात थे। कन्नन केरल के कोट्टयम के रहने वाले हैं। वह 2010 की सिविल सेवा परीक्षा में शीर्ष पर रहे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी शाह फैसल के बाद सबसे कम उम्र में अपनी सर्विस से इस्तीफा देने वाले देश के दूसरे आईएएस अधिकारी बन गए हैं। बता दें कि गोपीनाथ कन्नन इस समय पावर एंड नॉन कन्वेंशनल ऑफ एनर्जी के सेक्रेट्री पद पर अपनी सेवा दे रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक, बताया जाता है कि गोपीनाथ मौजूदा प्रशासनिक कार्यशैली से खुश नहीं थे। उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा क्यों दिया है, इस बारे में उनने किसी को कुछ नहीं बतया है। लेकिन उन्होंने सिर्फ यही कहा कि वह अपनी आजादी चाहते हैं। मैं कभी भी अपने सिद्धांत के साथ समझौता नहीं करता हूं। मीडिया के हवाले से यह भी पता चला है कि कन्नन को कुछ दिनों से ऐसा लग रहा था कि वो अपनी सोच को आवाज नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए अपनी आवाज को वापस पाने के लिए इस्तीफा देने का निर्णय किया। अब वह आगे क्या करेंगे, उन्होंने इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताया है।
कन्नन पहचान छिपाकर दिन-रात बाढ़ पीड़ितों की थी मदद
पिछले साल केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान गोपीनाथ चर्चा में आए थे। तब उन्होंने अपनी पहचान छुपाकर आठ दिनों तक केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद की थी। गोपीनाथ 26 अगस्त को केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में देने के लिए दादरा नगर हवेली की ओर से एक करोड़ रुपए का चेक देने केरल पहुंचे थे। लेकिन चेक सौंपने के बाद वापस लौटने की बजाय कन्नन ने वहीं रुककर अपने लोगों की मदद करने का फैसला किया। यहां वह अलग-अलग राहत शिविरों में सेवा देते रहे। इस दौरान उन्होंने किसी को जाहिर नहीं होने दिया कि वह दादरा नगर हवेली के जिला कलेक्टर हैं। उन्होंने राहत सामग्री अपने कंधे पर रखकर लोगों तक पहुंचाई थी। इस दौरान उनकी खूब प्रशंसा हुई थी। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें असली हीरो कहने लगे थे।
चुनाव के दौरान भी चर्चा में रहे
गोपीनाथ पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग से अपने से बड़े अधिकारियों की शिकायत की थी कि उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उनको कलेक्टर पद से हटाकर दूसरे विभाग की जिम्मेदारी दे दी थी।