जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के पुंछ (Poonch) जिले में आतंकियों (Terrorists) के हमले में पांच जवान शहीद हो गए। इनमें तीन जवान पंजाब के रहने वाले थे। घटना के बाद अब तक किसी की मां को खबर नहीं दी गई। एक जवान तो 20 दिन पहले ही घर से ड्यूटी पर गया था। अब उसके शहीद होने की दुखद खबर आई। शहीद होने वालों में एक जूनियर कमिशंन्ड ऑफिसर (जेसीओ) भी शामिल हैं।
जालंधर। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पुंछ जिले (Poonch) में सोमवार सुबह बुरी खबर आई। आतंकियों (Terrorists) के साथ एनकाउंटर में सुरक्षाबलों (Security Forces) के पांच जवान शहीद (Security Force Martyr) हो गए। इस घटना से देशवासियों में गम और गुस्सा है। जिन पांच जवानों की शहादत हुई है, उनमें बटाला के गांव चट्ठा के 30 वर्षीय जवान मनदीप सिंह भी शहीद हो गए। वे 11 सिख यूनिट की 16 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। मनदीप का 16 अक्टूबर को बर्थडे है। वे जन्मदिन से 5 दिन पहले ही शहीद हो गए। मनदीप का जिस अक्टूबर में जन्म हुआ, उसी अक्टूबर में वे दुनिया छोड़कर चले गए।
शहीद होने वालों में पंजाब के कपूरथला जिला के माना तलवंडी निवासी सूबेदार जसविंदर सिंह, बटाला जिले के चट्ठा निवासी मनदीप सिंह, रोपड़ जिला के पंचरंदा गांव निवासी सिपाही गज्जण सिंह हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने नायब सूबेदार जसविंदर सिंह, मनदीप सिंह और सिपाही गज्जन सिंह के शोक संतप्त परिवार को 50 लाख रुपए की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। पढ़िए जवान मनदीप की निजी जिंदगी के बारे में...
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5 दिन बाद मनदीप का बर्थडे, 20 दिन पहले ही घर से ड्यूटी पर गए
30 साल के मनदीप सिंह 11 सिख यूनिट की 16 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। उनका 16 अक्टूबर को जन्मदिन था। मगर, बर्थडे से 5 दिन पहले ही उनकी शहादत की खबर आई। यहां बटाला के चट्ठा गांव समेत पूरे जिले में मातम है। इलाके के लोग शहीद के घर सांत्वना देने पहुंचने लगे। बता दें कि 20 दिन पहले ही मनदीप छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे। मनदीप के दो बेटे हैं। दो और भाई हैं। बड़ा भाई फौज में हैं। जबकि छोटा भाई विदेश में रहता है। मनदीप का पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके पैतृक गांव चट्ठा में पहुंचेगा, जहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। चट्ठा गांव के गुरविंदर सिंह बताते हैं कि मनदीप एक बहादुर सैनिक के साथ-साथ फुटबॉल के बेहतरीन प्लेयर थे। मनदीप सितंबर 2011 में फौज में भर्ती हुए थे।
गर्व है कि बेटे ने देश की रक्षा की खातिर बलिदान दिया: मनदीप की मां
गांव वाले बताते हैं कि मनदीप के अंदर देश प्रेम का जज्बा कूट-कूट कर भरा था। अब घटना के बारे में मनदीप की मां मनजीत कौर को बता दिया गया। उनका रो-रोकर बुरा हाल है। मनजीत कहती हैं कि उन्हें बेटे की मौत का गम तो है, मगर इस बात का गर्व भी है कि बेटे ने देश की रक्षा की खातिर बलिदान दे दिया।
सिर्फ 39 दिनों का है मनदीप का बेटा
मनदीप अपने पीछे बुजुर्ग माता मनजीत कौर, पत्नी मनदीप कौर और दो बेटों को छोड़ गए। मनदीप का एक बेटा मंताज सिंह 4 साल और दूसरा बेटा गुरकीरत सिंह सिर्फ 39 दिन का है। मनदीप के घर में कुछ दिन पहले ही खुशियां आई थीं। 16 अक्टूबर को मनदीप सिंह का जन्मदिन था।
मनदीप ने भाई से कहा था- गांव में शहीद के नाम पर गेट नहीं है..
चचेरे भाई गुरमुख सिंह ने कहा कि मनदीप फुटबॉल और बास्केटबॉल के खिलाड़ी थे। हमें बहुत मान है कि मनदीप सिंह ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान की है। कुछ दिन पहले ही मनदीप का फोन आया था और वह खुश थे, उस दौरान मनदीप ने वीडियो कॉल पर बात की थी। वे एक पहाड़ी पर चढ़े हुए थे। मनदीप जब भी गांव आते थे या फिर फोन करते थे तो कहते थे कि गांव में शहीद के नाम पर कोई गेट नहीं है।
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