गुरुवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किरती किसान यूनियन के प्रधान निर्भय सिंह ढूढीके और रजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने स्पष्ट किया है कि अब किसान संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के कार्यक्रमों का विरोध नहीं करेंगे। रजिंदर पाल सिंह ने कहा कि अब किसान संगठनों ने भी अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली है, ऐसे में उन्हें अब संयुक्त किसान मोर्चा की बैठकों में आने देना है या नहीं, इस पर फैसला 15 जनवरी को लिया जाएगा।
चंडीगढ़। किरती किसान यूनियन ( Kirti Kisan Union) ने पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Elections 2022) नहीं लड़ने का फैसला लिया है। संगठन ने संयुक्त समाज मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ने वाले किसान संगठनों से भी अपील की है और कहा है कि वे संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukta Kisan Morcha) की एकता को बनाए रखने के लिए चुनाव में ना लड़ें। यूनियन का कहना था कि किसान मोर्चा ने संघर्ष के दम पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। अभी कुछ मांगें बाकी हैं, इसलिए चुनाव ना लड़कर आंदोलन के मुद्दों को ध्यान में रखकर रणनीति बनाई जाए। अगर कोई किसान संगठन चुनाव में उतरता है तो हमारी एकता को नुकसान पहुंचाएगा।
गुरुवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किरती किसान यूनियन के प्रधान निर्भय सिंह ढूढीके और रजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने स्पष्ट किया है कि अब किसान संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के कार्यक्रमों का विरोध नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि 3 कृषि कानूनों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला लिया था कि वे भाजपा के कार्यक्रम नहीं होने देंगे, लेकिन अब जब तीनों कृषि कानून वापस हो गए हैं तो अब इस फैसले पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। राजनीतिक पार्टियों को किसानों के मंच पर ना आने देने के सवाल पर रजिंदर पाल सिंह ने कहा कि अब किसान संगठनों ने भी अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली है। ऐसे में उन्हें अब संयुक्त किसान मोर्चा की बैठकों में आने देना है या नहीं, इस पर फैसला 15 जनवरी को लिया जाएगा।
संयुक्त समाज मोर्चा से किसान एकता को नुकसान हुआ
उन्होंने कहा कि हमने उनसे अपील की है कि वे राजनीतिक लड़ाई ना लड़ें, इसलिए उनके फैसले का इंतजार करने के बाद ही हम अपनी बात रखेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि संयुक्त समाज मोर्चा बनने के बाद किसानों की एकता की छवि को नुकसान पहुंचा है, लेकिन यह खत्म नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जो संगठन लोगों के मुद्दों की आवाज उठाते हैं लोग उन्हीं के साथ रहते हैं। राजिंदर पाल सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन से पहले वीएम सिंह एक बड़ा नाम हुआ करता था, लेकिन जब उन्होंने किसानों के खिलाफ स्टैंड लिया तो आज उनका कोई नाम लेने वाला भी नहीं है।
किसान मसलों की जो बात ना करे, नोट दबाएं
किसानों का कहना था कि अभी भी कई मसले लंबित हैं। उन्हें सरकारों से लागू करवाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी है, इसलिए वे चुनावी चक्कर में इस लड़ाई को कमजोर ना करें। विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी एक मुहिम चलाएगी, जिसमें लोगों से संबंधित मसलों को रखा जाएगा और मतदाताओं से अपील की जाएगी कि जो पार्टी इन मुद्दों पर अपनी बात रखती है, सिर्फ उसी को वोट करें और अगर कोई पार्टी ऐसा नहीं करती तो नोटा का बटन दबाएं।
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