Inside Story: ड्रग केस में फंसे बिक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी के लिए क्यों जल्दबाजी में हैं पंजाब पुलिस?

बिक्रम मजीठिया पर ड्रग्स रैकेट मामले में एनडीपीएस ऐक्ट के तहत मोहाली में दिसंबर 2022 में केस दर्ज किया गया था। इस मामले में कोर्ट ने मजीठिया को अंतरिम राहत दी थी। लेकिन, नियमित जमानत की अर्जी खारिज कर दी।

मनोज ठाकुर, अमृतसर। जैसा आशंका थी, बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की याचिका पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट से खारिज होते ही उनकी गिरफ्तारी के लिए पंजाब पुलिस सक्रिय हो गई। मोहाली पुलिस की एक टीम ने मंगलवार सुबह मजीठिया के अमृतसर स्थित कोठी पर छापेमारी। एक घंटे तक पुलिस कोठी में रही। इस दौरान पुलिस को वहां मजीठिया नहीं मिले। कहा जा रहा है कि क्राइम ब्रांच की 6 टीमें मजीठिया के ठिकाने पर छापेमारी में लगाई गई हैं।

बिक्रम मजीठिया पर ड्रग्स रैकेट मामले में एनडीपीएस ऐक्ट के तहत मोहाली में दिसंबर 2022 में केस दर्ज किया गया था। इस मामले में कोर्ट ने मजीठिया को अंतरिम राहत दी थी। लेकिन, नियमित जमानत की अर्जी खारिज कर दी। इस तरह से पुलिस के पास मजीठिया की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है। इससे पहले जब मजीठिया के खिलाफ पर्चा दर्ज हुआ था, तब भी पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर जबरदस्त अभियान चलाया था। लेकिन तब वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े। वह कोर्ट में जमानत के लिए गए। निचली अदालत से जमानत नहीं मिली तो पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट गए। यहां अंतरिम राहत मिली। बाद में हाइकोर्ट ने उनकी जमानत की याचिका खारिज कर दी। 

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ड्रग्स मामले को लेकर मुखर रहे सिद्धू
कांग्रेस खासतौर पर प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स मामले को लेकर खासे मुखर रहे हैं। कांग्रेस सरकार में वह लगातार इस मामले को उठाते रहे। लेकिन कई तरह की जांच के बाद भी मजीठिया के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ। मजीठिया भी समय-समय पर सिद्धू को घेरते रहते हैं। यहां तक कि उन्होंने ऐलान कर रखा है कि इस बार वह सिद्धू के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। मजीठिया अकाली के फायरब्रांड नेता तो हैं, इसके साथ ही सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरन कौर के भाई भी हैं। 

चन्नी के सीएम बनते ही जांच हुई तेज 
कैप्टन के हटते ही चरणजीत सिंह चन्नी सीएम बने और उन्होंने मामले को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया। दिसंबर में मजीठिया के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई। आधार बनाया गया ड्रग रैकेट के आरोपियों की पूछताछ को। दावा किया कि स्पेशल टास्क फोर्स की पूछताछ में आरोपियों ने मजीठिया का नाम लिया है। इस पर एसटीएफ ने इन आरोपों की जांच तेज करने की सिफारिश की थी। 

यूं पकड़ा गया था ड्रग्स रैकेट 
इस रैकेट में पूर्व इंटरनेशनल पहलवान और पंजाब पुलिस के बर्खास्त डीएसपी जगदीश भोला का नाम आया। जब पुलिस ने भोला से पूछताछ की तो उसने बताया कि कनाडा निवासी सतप्रीत सत्ता बिक्रम मजीठिया के यहां आया था। उसका ड्रग रैकेट से संबंध है। सत्ता जब भी भारत आता था, वो बिक्रम मजीठिया की कोठी पर रहता था। मजीठिया ने सत्ता को एक गनमैन, ड्राइवर और कार उपलब्ध करा रखी थी। ईडी ने इस मामले में कई और लोगों से बात की। उन्होंने भी बताया कि सत्ता की पहचान मजीठिया से है। इसे आधार बनाकर मजीठिया के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। 

कैप्टन की सीएम शिप में क्यों मामला नहीं उठा?
कैप्टन का इसके पीछे तर्क था कि रिपोर्ट में सीधे-सीधे मजीठिया का नाम नहीं है। सीएम पद से हटने के बाद भी कैप्टन अक्सर बोलते रहे कि मजीठिया को झूठा फंसाया जा रहा है। उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। किसी से दुश्मनी निकालने के लिए केस दर्ज करना लोकतंत्र के खिलाफ है। 

आगे क्या हो सकता है ?
पुलिस मजीठिया की गिरफ्तारी को लेकर लगातार छापेमारी कर रही है। इससे कांग्रेस को थोड़ी राहत मिल सकती है, कम से कम अकाली दल की ओर से उन्हें घेरने की कोशिश अब थोड़ी कम हो सकती है। जितने दिन तक मजीठिया फरार रहेंगे] चुनाव में उनकी उपस्थिति कम होगी। इसका लाभ भी कांग्रेस ले सकती है। नशे के मामले में कांग्रेस यह दिखा सकती है कि वह ठोस काम कर रहे हैं। 

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मजीठिया क्या कर सकते हैं?
मजीठिया के लिए अब एक रास्ता है, सुप्रीम कोर्ट। वहां वह जमानत के लिए जा रहे हैं। अकाली दल अब कांग्रेस पर झूठा मामला दर्ज करने की बात कहते हुए मतदाता की सहानुभूति लेने की कोशिश कर सकते हैं। कुल मिलाकर जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव में मतदान का दिन नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे यहां की शह व मात का खेल तेज हो रहा है।

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