17 साल में भी मुस्लिम लड़की कर सकती है शादी, वह इसके लिए स्वतंत्र,जानिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले की वजह

हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत इस तथ्य पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती है कि याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं को दूर करने की जरूरत है। केवल इसलिए कि याचिकाकर्ताओं ने अपने परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध शादी कर ली है, उन्हें संविधान में परिकल्पित मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 26, 2021 7:35 AM IST

चंडीगढ़ : परिवार के खिलाफ जाकर हिंदू लड़के से शादी करने वाली मुस्लिम लड़की की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दोनों को सुरक्षा देने का आदेश दिया है। पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) की हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुस्लिम लड़की के युवा होने के बाद वह जिसे भी पसंद करे उससे शादी करने के लिए स्वतंत्र है। अगर वह जोड़ा बराबरी का है तो पैरेंट्स को इस पर रोक लगाने का कोई हक नहीं है। ऐसे में उन्हें पूरी तरह सुरक्षा मुहैया कराई जाए।

याचिका में क्या है
दरअसल, एक याचिका में बताया गया कि 17 साल की मुस्लिम लड़के ने 33 साल से हिंदू लड़के से शादी कर ली। दोनों ने परिवार वालों के खिलाफ जाकर विवाह किया है और उनकी जान को खतरा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि मुस्लिम धर्म के अनुसार यौन परिपक्वता पाने के बाद लड़का और लड़की दोनों को ही विवाह के लिए पात्र माना जाता है। ऐसे में उन्हें सुरक्षा दी जाए। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मुस्लिम कानून के तहत यौवन और बहुमत एक समान हैं, और एक अनुमान है कि एक व्यक्ति 15 साल की आयु में वयस्कता प्राप्त करता है। वकील ने यह भी तर्क दिया कि एक मुस्लिम लड़का या मुस्लिम लड़की जो यौवन प्राप्त करती है, उसे अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने की स्वतंत्रता है और उनके अभिभावक को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। 

Latest Videos

हाईकोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट के जज जस्टिस हरनेश सिंह गिल ने कहा कि कानून स्पष्ट है कि एक मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा शासित होती है। पुस्तक के अनुच्छेद 195 के अनुसार, ' मोहम्मडन कानून के सिद्धांत याचिकाकर्ता नंबर 1 (लड़की) 17 साल की होने के कारण, सर दिनशाह फरदुनजी मुल्ला द्वारा, अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह का अनुबंध करने के लिए सक्षम है। याचिकाकर्ता नंबर 2 (उसकी साथी) की उम्र करीब 33 साल बताई जा रही है। इस प्रकार, याचिकाकर्ता नंबर एक विवाह योग्य आयु का है, जैसा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा परिकल्पित किया गया है।

अदालत बंद नहीं कर सकता अपनी आंखे
जस्टिस हरनेश सिंह गिल ने कहा कि अदालत इस तथ्य पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती है कि याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं को दूर करने की जरूरत है। केवल इसलिए कि याचिकाकर्ताओं ने अपने परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध शादी कर ली है, उन्हें संविधान में परिकल्पित मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है। 

इसे भी पढ़ें-हरियाणा में कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज नहीं ली तो सार्वजनिक जगहों पर नहीं मिलेगी एंट्री, जानें कब से सख्ती?

इसे भी पढ़ें-क्या पंजाब की सियासी पिच पर उतरेंगे हरभजन सिंह, कहा-कई पार्टियों से ऑफर, अभी सोचा नहीं, जानें फ्यूचर प्लान

Share this article
click me!

Latest Videos

कौन सी चीज को देखते ही PM Modi ने खरीद डाली। PM Vishwakarma
कांग्रेस को गणपति पूजा से भी है नफरत #Shorts
PM Modi LIVE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जनसभा को संबोधित किया
कोलकाता केसः डॉक्टरों के आंदोलन पर ये क्या बोल गए ममता बनर्जी के मंत्री
जम्मू के कटरा में PM Modi ने भरी हुंकार, शाही परिवार को धो डाला