प्रकाश पर्व से पहले खुला करतारपुर कॉरिडोर, सिख श्रद्धालुओं के पहले जत्थे का पाकिस्‍तान में जोरदार स्‍वागत

बुधवार को सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था दरबार साहिब गुरुद्वारे पहुंच गया है। पहले दिन कॉरिडोर से होकर जा रहे भारतीय श्रद्धालुओं का पाकिस्तानी अधिकारियों और पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जोरदार स्वागत किया। उन्होंने दोबारा कॉरिडोर खुलने पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी और फूल बरसाकर उनका स्वागत किया। 

अमृतसर : भारत-पाकिस्तान के बीच करतापुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) खुलने  के बाद बुधवार को सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था दरबार साहिब गुरुद्वारे पहुंच गया है। पहले दिन कॉरिडोर से होकर जा रहे भारतीय श्रद्धालुओं का पाकिस्तानी अधिकारियों और पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जोरदार स्वागत किया। उन्होंने दोबारा कॉरिडोर खुलने पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी और फूल बरसाकर उनका स्वागत किया। इसके साथ ही गुरुद्वारा साहिब में संगत को प्रसाद में खजूर और मीठे चावल दिए जा रहे हैं। ये गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग ने भी ट्वीट कर लिखा किभारतीय सिख श्रद्धालुओं का पाकिस्तान गर्मजोशी से स्वागत करता है। बता दें कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलने का फैसला किया था।

611 दिनों बाद खुला कॉरिडोर
करतारपुर कॉरिडोर 611 दिनों के बाद बुधवार को फिर से खोला गया। 16 मार्च 2020 से करतारपुर साहिब कॉरिडोर के लिए रजिस्‍ट्रेशन बंद कर दिया गया था। एक साल 8 महीने बाद भारत के गृह मंत्रालय ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने की अनुमति दी है। गुरुपर्व को देखते हुए भारत सरकार के इस फैसले से सिख संगत में खुशी की लहर है।

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पाकिस्तान में इंतजाम
गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन कर लौटे श्रद्धालुओं ने बताया कि वहां इंतजाम बहुत अच्छे रहे। वह पांच मिनट में ही पाकिस्तान बॉर्डर से निकल गए। उन्हें रिसीव करने खुद पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चेयरमैन पहुंचे। करतारपुर साहिब की यात्रा पर जाने के लिए भारतीय श्रद्धालु सबसे पहले निजी वाहन या फिर राज्य परिवहन के माध्यम से डेरा बाबा नानक पहुंच रहे हैं। इसके बाद ही कॉरिडोर के जरिए करतारपुर साहिब तक जा रहे हैं। यहां श्रद्धालु इमीग्रेशन संबंधी आवश्यक वैरिफिकेशन से गुजर कर जीरो लाइन पर एंट्री पॉइंट्स को पैदल क्रॉस कर रहे हैं। पाकिस्तान में पहुंचने पर उन्हें उस पार गुरुद्वारा साहिब तक जाने के लिए विशेष वाहनों की व्यवस्था है।

कोविड प्रोटोकॉल का पालन जरूरी
कॉरिडोर पर बुधवार को पहुंचे कुछ लोगों को RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट न होने के कारण रोक दिया गया। तकनीकी दिक्कत होने से रिपोर्ट न मिलने के कारण कई श्रद्धालुओं को वापस भेज दिया गया। रिपोर्ट आने के बाद वे गुरुवार को करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकेंगे। गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लगी होने की शर्त रखी गई है। इसके अलावा लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का भी सख्ती से पालन करना होगा। आम श्रद्धालुओं को करतारपुर कॉरीडोर से दर्शन के लिए 8 से 10 दिन तक इंतजार करना होगा। बुधवार को जाने वाले श्रद्धालुओं में कुछ ने गुरदासपुर जिला प्रशासन के माध्यम से आवेदन किया था। वहीं कुछ लोग दिल्ली (delhi) से अनुमति लेकर डेरा बाबा नानक पहुंचे। 

कॉरिडोर से जाने की प्रक्रिया सरल बनाने की मांग
पंजाब (punjab) के CM चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) अपनी कैबिनेट के साथ गुरुवार को करतारपुर साहिब के दर्शन करने जाएंगे। वहीं बुधवार को दर्शन करने गए बाबा सुखदीप सिंह बेदी ने कॉरिडोर खोलने के लिए केंद्र सरकार का आभार जताया। उन्होंने साथ ही गृह मंत्रालय से अपील की कि कॉरिडोर से जाने की प्रक्रिया को थोड़ा सरल बनाया जाए। क्योंकि जिन लोगों के पास पासपोर्ट नहीं है वह लोग इस यात्रा के माध्यम से दर्शन करने नहीं जा सकते। इस दौरान गए लोगों ने बताया कि उन्होंने गुरदासपुर जिला प्रशासन के माध्यम से मंगलवार को दर्शन करने के लिए आवेदन किया था। बुधवार सुबह ही उनके मैसेज मिला की वह दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।

साढ़े चार किलोमीटर का है करतारपुर कॉरिडोर
भारत (India) में पंजाब के डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक कॉरिडोर का निर्माण किया गया है और वहीं पाकिस्तान (Pakistan) भी सीमा से नारोवाल जिले में गुरुद्वारे तक कॉरिडोर का निर्माण हुआ है। इसी को करतारपुर साहिब कॉरिडोर कहा गया है। करतापुर कॉरिडोर करीब साढ़े चार किलोमीटर लंबा है। इस कॉरिडोर के बनने से भारत में डेरा बाबा नानक और पाकिस्‍तान में मौजूद गुरुद्वारा दरबार साहिब सीधे जुड़ गए हैं। 9 नवंबर 2019 को इस कॉरिडोर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) ने उद्घाटन किया था। खास बात ये है कि यहां से पाकिस्‍तान जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है।

क्या है मान्यता
इतिहास के अनुसार 1522 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक करतारपुर आए थे। उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी 17-18 साल यही गुजारे थे। 22 सितंबर 1539 को इसी गुरुद्वारे में गुरुनानक जी ने आखरी सांसे ली थीं। इसलिए इस गुरुद्वारे की काफी मानयता है। लेकिन बंटवारे के समय ये जगह पाकिस्तान में चली गई। भारत का गुरदासपुर बॉर्डर यहां से सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर है। 

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