इस मां को क्या मालूम था कि जिन्हें वो अपना समझती है, वो ही बिखेर देंगे उसका 'अरमान'

फाजिल्का में 17 अक्टूबर को लापता हुए 12 साल के बच्चे के किडनैप और मर्डर का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस हत्याकांड को अंजाम बच्चे के पिता के दोस्तों ने दिया था। हैरानी की बात यह रही कि आरोपी रोज बच्चे के घर आकर दिलासा देते रहे। आरोपियों ने अपना कर्ज चुकाने 2 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी।
 

फाजिल्का( पंजाब). फाजिल्का की नई आबादी गली नंबर-19 से 17 अक्टूबर की शाम गायब हुए 12 साल के बच्चे की हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है। अरमान संधू नामक इस बच्चे को 2 करोड़ रुपए की फिरौती के लिए किडनैप किया गया था। हालांकि मामला हाथ से निकलते देख आरोपियों ने बच्चे की 19-20 अक्टूबर की रात गला घोंटकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में बच्चे के पिता के दो करीबियों को अरेस्ट किया है। किडनैपिंग के बाद भी आरोपी बच्चे के घर आते रहे। वे बच्चे को ढूंढने में मदद करते रहे। आरोपियों की निशानदेही पर शुक्रवार को मलोट रोड स्थित ओवर ब्रिज के पास झाड़ियों से बच्चे का सड़ा-गला शव बरामद किया गया। अपने बच्चे की मौत की खबर सुनकर मां होश खो बैठी।

एसएसपी भूपेंद्र सिंह के मुताबिक, आरोपी सुनील कुमार उर्फ शीलू और पवन कुमार उर्फ अंकी की बच्चे के पिता फाइनेंसर बलजिंदर से दोस्ती थी। सुनील को बलजिंदर के 35 लाख रुपए देने थे। इसे न चुकाना पड़े, इसी मकसद से आरोपियों ने बच्चे का किडनैप किया। 17 अक्टूबर की शाम सुनील अरमान को अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर सीतो रोड स्थित एक किराये के घर में ले गया। यहां जब बच्चे को आभास हुआ कि उसके किडनैप किया गया है, तो आरोपियों ने उसे नशे के इंजेक्शन दे दिए। फिर बेहोशी की हालत में उसे बांध दिया। आरोपियों ने बच्चे के कई फोटो खींचे। इन तस्वीरों पर बच्चे से हस्ताक्षर भी करा लिए। चूंकि बच्चा आरोपियों को पहचानता था, इसलिए उसकी हत्या कर दी। 

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सेब की पेटी में भेजी चिट्ठी, फेसबुक पर शेयर किए फोटो
आरोपियों ने 3 नवंबर को सेब की पेटी में दो ईंटें रखीं। उसके नीचे फिरौती की एक चिट्ठी रखी गई। चिट्ठी में एक फेसबुक आइडी दी गई। इसके जरिये 2 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी गई थी। आरोपी सुनील  इलेक्ट्रॉनिक में डिप्लोमा होल्डर है। आरोपी फेसबुक संदेश के जरिये फिरौती की जगह तय करते थे। लेकिन जैसे ही उन्हें मालूम चलता कि पुलिस पीछे पड़ी हुई है, तो वे चकमा दे जाते। चूंकि आरोपी खुद पीड़ित के परिजनों के संपर्क में थे, इसलिए उन्हें पुलिस की गतिविधियों की खबर पता चल जाती थी। इस मामले को लेकर बच्चे के परिजनों ने दो बार पुलिस के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया था। आरोपी तब भी उनके साथ बने रहे। आरोपियों ने बच्चे की हत्या के पहले 20-25 वीडियो बनाकर रखे थे, ताकि परिजनों को लगता रहे कि बच्चा जिंदा है।

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