युवक ने पहले खुद का डेथ सर्टिफिकेट बनवाया, फिर पत्नी ने भी रची साजिश, जांच हुई तो आरोपी निकला ASP का भाई

आरोपी नीरज ने अक्टूबर 2020 में आईसीआईसीआई और पंजाब नेशनल बैंक से 50-50 लाख की दो बीमा पॉलिसी करवाई। बीमा क्लेम लेने के लिए उसने पहले खुद का डेथ सर्टिफिकेट बनवाया और फिर अपनी पत्नी को अप्लाई करने के लिए कहा। 

Pawan Tiwari | Published : Aug 23, 2022 9:58 AM IST

अलवर. राजस्थान के अलवर जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है। एक तरफ जहां लोग कोरोना बीमारी का नाम लेने से ही डरते थे। वहीं, अलवर के एक शख्स ने इसका फायदा उठाया। कोरोना में प्राइवेट कंपनी द्वारा बीमा की सुविधा दी गई थी। ऐसे में इस शख्स ने भी यह पॉलिसी करवा ली। क्लेम करवाने के लिए एक बार तो इसने अपना डेथ सर्टिफिकेट भी बनवा लिया। फिलहाल अब यह शख्स पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ में जुटी है। वहीं पुलिस गिरफ्त में आए इस आरोपी का बड़ा भाई एडिशनल एसपी है और पिता RAS के पद से रिटायर हो चुके हैं। जिनकी कोरोना से मौत भी हो चुकी है। 

किराये से बचने के लिए रची साजिश
पुलिस पूछताछ में अब तक सामने आए हैं कि आरोपी नीरज शर्मा के पिता की जब कोरोना से मौत हुई तो उसने ही पिता का डेथ सर्टिफिकेट बनवाया था। उसी दौरान नीरज के 16 लाख  रुपए का मैरिज होम का किराया बाकी चल रहा था। इस किराए से बचने के लिए ही उसने खुद का डेथ सर्टिफिकेट बनवा दिया और उसे परिवार वालों से कोर्ट में भी पेश करवा दिया। इस मामले में मैरिज होम की मालकिन नेहा ने कोर्ट में सबूत भी पेश किया था। 

इस तरह दो कंपनियों को बनाया शिकार
आरोपी नीरज ने अक्टूबर 2020 में आईसीआईसीआई और पंजाब नेशनल बैंक से 50-50 लाख की दो बीमा पॉलिसी करवाई। इनकी पहली वार्षिक स्थिति नीरज ने जमा करवा दी। इसके बाद अगले साल ही उसने अपने परिवार के जरिए व्हाट्सएप से वेरिफिकेशन करवा कर खुद का डेट सर्टिफिकेट बनवा लिया। और नीरज की पत्नी ने क्लेम के लिए कंपनी में अप्लाई भी कर दिया। लेकिन जब क्लेरिफिकेशन के लिए कंपनी का एक एजेंट नीरज के घर पर आया तो बाहर ही उसका भाई संजय उस एजेंट को मिल गया जिसने उसे पूछा कि नीरज की मौत हो चुकी है क्या। ऐसे में संजय ने मना कर दिया। इसके बाद कंपनी की तरफ से कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई। जिसके बाद पुलिस और ऑफिस तक पहुंची।

जिस पार्षद ने वेरिफिकेशन किया उसकी भी मौत हुई
ताज्जुब की बात तो यह है कि करीब 6 से 7 महीने बीत जाने के बाद भी यह झूठ सामने नहीं आया क्योंकि जिस पार्षद ने नीरज की मौत का वेरिफिकेशन किया था वह भी करीब 2 महीने बाद ही मर गई थी। वही नीरज भी पकड़े जाने के डर से अपने घर में कमरा बंद करके ही रहता था। उसकी पत्नी ही सारे काम देखती थी।

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