अमरनाथ हादसे का आंखोंदेखा हाल: सिर पर पत्थर गिरते ही मलबे में दब गए...10 मिनट में सब हो गया तबाह

अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने की त्रासदी में राजस्थान के 3 लोगों की मौत हो गई है। जिसमें श्रीगंगानगर के रिटायर्ड पुलिस अधिकारी सुशील खत्री और दो उनके रिश्तेदार शामिल हैं। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस दौरान राजस्थान के नवनीत शर्मा वहीं पर मौजूद थे। उन्होंने पूरी कहानी बयां की है।

Arvind Raghuwanshi | Published : Jul 9, 2022 10:21 AM IST / Updated: Jul 09 2022, 03:55 PM IST

जयपुर. अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार शाम अचानक तेज बारिश और पहाड़ों से मलवा नीचे गिरने से 16  श्रद्धालु की मौत हो चुकी है। मृतकों में राजस्थान के तीन लोग शामिल हैं। यह तबाही इतनी भयानक थी कि लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। बादल ऐसे फटे कि गुफा के पास बने कैंप पानी में बह गए। हादसे में श्रीगंगानगर के रिटायर्ड सीआई सुशील खत्री की मौत हो गई। मरने के पहले उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर टेंट से 7 लोगों को बाहर निकाला। लेकिन तेज बहाव के साथ जब एक पत्थर उनके सिर पर गिरा तो उनकी मौत हो गई। इस सैलाब और इस पूरे घटनाक्रम को श्री अमरनाथ लंगर सेवा समिति श्रीगंगानगर के प्रधान नवनीत शर्मा ने देखा है। उन्होंने इस भयावह हादसे का आखों देखा हाल बताया। 

इंस्पेक्टर सुशील खत्री ने कुछ देर पहले ही शिवलिंग के दर्शन किए थे....
दरअसल, जिस वक्त यह हादसा हुआ उस दौरान नवनीत शर्मा वहीं गुफा के पास मौजूद थे। उन्होंने बताया कि शाम करीब  5:30 बजे हादसा हुआ। अचानक बादल फटने के बाद जब पहाड़ से पत्थर गिरना शुरू हुए तो तेज धमाकों की आवाज आने लगी। घबराते हुए सभी लोग अपने-अपने टेंट से बाहर आ गए। मेरे साथ  समिति के टेंट में सुशील सहित 10 लोग मौजूद थे। तभी हादसे के से कुछ देर पहले ही रिटायर्ड इंस्पेक्टर सुशील खत्री ने शाम 4:00 बजे गुफा में शिवलिंग के दर्शन किए थे।

यह पूरा हादसा करीब 10 मिनट में हो गया....
नवनीत ने बताया कि वह भयानक मंजर इतना खतरनाक था कि सिर पर पत्थर गिरते ही लोग मलबे में दब गए। उन्होंने बताया कि यह पूरा हादास करीब 10 मिनट में हो गया। मैंने देखा कि पहाड़ों से टेंट की तरफ आती मिट्टी और पत्थरों के बीच भी सुशील ने बड़ी मशक्कत से 7 लोगों को बाहर निकाल लिया। लेकिन इसी बीच एक तेज बहाव आया। जिनमें बड़े-बड़े पत्थर भी थे। एक पत्थर सुशील के सिर पर लगा। जिसके बाद वह बहते चले गए। कुछ दूरी पर जाकर उनकी मौत हो गई और एक पत्थर के नीचे उनका शव मिला। वहीं टेंट में सुशील के समधी मोहन वधवा और उनकी पत्नी सुनीता भी पानी के तेज बहाव में बह गए। इस तरह से उनकी भी मौत हो गई।

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