राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने की जिस माता मंदिर में की गुप्त साधना, अब उसी दरबार में पूनिया भी पहुंचे

राजस्थान के बांसवाडा स्थित माता का यह चमत्कारी मंदिर तांत्रिक साधना और बलि के लिए जाना जाता है। यह देवी एक दिन में तीन रूप बदलती है। जिस दरबार में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने की गुप्त साधना की, आज यानि मंगलवार के दिन पूनिया भी पूजा करने पहुंचे।

Sanjay Chaturvedi | Published : Oct 4, 2022 1:26 PM IST

बांसवाड़ा. भाजपा की दबंग नेता और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने नवरात्रि की पंचमी में माता के जिस दरबार में पूजा पाठ किया आज उसी दरबार में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी पहुंचे और उन्होनें वहां पूजा पाठ कर हवन किया। माता का ये मंदिर इतना चमत्कारी है कि हर बार यहां पर गुप्त साधना करने के बाद ही वसुंधरा राजे चुनाव के मैदान में उतरती हैं और जीत हांसिल करती हैं। वे कई सालों से माता के मंदिर में गुप्त साधना करती आ रहीं हैं लेकिन यह साधना क्या होती है, इस बारे में किसी को जानकारी नहीं है सिवाय मंदिर के कुछ सदस्यों के। आपको बताते हैं कि माता का ये मंदिर क्यों इतना खास है... जहां अब पूनिया भी पहुंच गए हैं। 

अनोखा मंदिर है, मां त्रिपुरा का
मां त्रिुपरा सुंदरी का मंदिर है राजस्थान के बांसवाड़ा जिले मैं स्थित है।  राजस्थान में छोटी काशी के नाम से मशहूर बांसवाड़ा जिले के इस मंदिर का पुरातन महत्व है । मंदिर में आज भी तांत्रिक क्रियाएं की जाती है । बताया जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान तंत्र साधना करने वाले बहुत से साधु गुप्त नवरात्रों में मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं और तंत्र साधना में व्यस्त रहते हैं। 

शिल्पकला और भव्यता के लिए मशहूर
मंदिर अपने शिल्प कला और भव्यता के लिए पूरे देश में मशहूर है । 52 शक्तिपीठों में से एक इस माता के मंदिर में सम्राट कनिष्क के समय का शिवलिंग भी विद्यमान है।  लोगों का यह विश्वास है कि मंदिर करीब 3 शताब्दी पुराना है।  कुछ लोगों का मानना है कि मां के इस शक्तिपीठ को तीसरी सदी से पहले का माना जाता है।  मंदिर के जीर्णोद्धार का इतिहास ही करीब 500 साल पुराना बताया जाता है ।

गुजरात के राजा की इष्ट देवी है
गुजरात के राजा सिद्धराज जयसिंह की यह इष्ट देवी रही है । कहा तो यहां तक जाता है कि मालव के एक राजा ने अपना शीश काटकर  मां के चरणों में अर्पित कर दिया था और उसी समय राजा सिद्धराज के प्रार्थना करने पर शीश काटने वाले मालव नरेश को माता ने फिर से जीवित कर दिया था । बताया जाता है साल 1501 में महाराज धन्ना माणिक्य देव वर्मा के द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार कराना शुरू किया गया था जो कई सालों तक जारी रहा था । 

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने की गुप्त पूजा, पूनिया भी पहुंचे
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि मंदिर के आसपास गुप्त रूप से बलि भी दी जाती है । देवी माता कई राज परिवारों की इष्ट देवी  है। यही कारण है पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपना कोई भी काम शुरू करने से पहले एक बार यहां पहुंचती है और माता की पूजा अर्चना करती है।  उसके बाद किए जाने वाले काम में वह हर बार सफल रही हैं। इसी मंदिर में आज सतीश पूनिया ने धोक लगाई है और हवन पूजन किया है। वसुंधरा राजे 30 सितंबर को शुक्रवार पंचमी के दिन यहां हवन पूजन गुप्त रूप से करके गई हैं। 

 मंदिर प्रबंधन का कहना है माता का यह मंदिर देश दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है जहां मां एक ही दिन में तीन रूप धारण करती है । सवेरे वह बालिका के रूप में रहती है। दिन में यौवना का रूप धारण करती है और शाम को बुजुर्ग रूप धरती हैं। यही सिलसिला सैकड़ों सालों से चल रहा है।

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