स्कूल से पार हो गए बच्चे तो प्रिंसिपल ने भी पुलिस वालों की तरह मारी रेड, छात्र भाग गए बैग मिले

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में हैरान कर देने वाला नजारा देखने को मिला। जहां बंक मारने वाले बच्चों को उनके परिजनों के बजाएं खुद स्कूल के प्रिंसिपल पहुंच गए। फ्लाइंग स्क्वाड और प्रधानाचार्य को देख स्टूडेंट वहां से भाग खड़े हुए लेकिन उनके बैग टीम ने जब्त कर लिए है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Sep 9, 2022 8:51 AM IST

भीलवाड़ा. आमतौर पर राजस्थान के स्कूलों में टीचर द्वारा स्टूडेंट के साथ मारपीट करने या टीचर की लेटलतीफी और लापरवाही के मामले सामने आते हैं। लेकिन राजस्थान से एक टीचर का अनोखा मामला सामने आया है। जिसने स्कूल में स्टूडेंट्स की कम अनुपस्थिति पर सख्त कदम उठाया। स्कूल के प्रिंसिपल को शिकायत मिली कि स्कूल के बच्चे घरों से तो निकल जाते हैं लेकिन बीच रास्ते ही अपने ठिकानों पर चले जाते हैं। बस फिर क्या था प्रिंसिपल ने तुरंत स्कूल के स्टाफ के साथ एक टीम बनाई और भीलवाड़ा के बाजार में स्टूडेंट्स के ठिकानों पर दबिश दी। हालांकि इस दौरान एक भी स्टूडेंट नहीं मिला लेकिन फ्लाइंग टीम को करीब एक दर्जन से ज्यादा स्कूली बच्चों के बैग मिले हैं। जिन्हें अब जब्त कर लिया गया है।

बंक मारने की मिली थी शिकायत
मामला राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के राजेंद्र नगर इलाके का है। यहां की सरकारी स्कूल में पिछले करीब 1 महीने से कक्षा 9 से 12वीं तक के स्टूडेंट्स लगातार ज्यादातर अनुपस्थित ही रहते थे। स्कूल के प्रिंसिपल श्याम लाल खटीक किसी ने सूचना दी कि यह बच्चे स्कूल तो जा रहे हैं लेकिन बीच रास्ते ही कुछ पार्को और दुकानों पर बैठ जाते हैं। ऐसे में आज शाम लाल खटीक स्कूल के अन्य स्टाफ के साथ भीलवाड़ा के बाजारों में निकल गए। जहां उन्होंने करीब तीन से चार स्थानों पर दबिश देकर करीब 12 बच्चों के बैग बरामद किए हैं। हालांकि प्रिंसिपल को आते देख स्टूडेंट वहां से भाग निकले। ऐसे में स्टूडेंट्स को पकड़ा नहीं जा सका। अब इन बैगों में मिली कॉपी किताब के आधार पर स्कूल स्टाफ बच्चों के परिजनों का पता लगाएगा। जिसके बाद परिजनों को बुलाया जाएगा। 

राज्य का पहला ही ऐसा मामला जब बच्चे को ढूंढने निकले हो टीचर
राजस्थान में इससे पहले स्टूडेंट्स के स्कूल बंक ( school bunk) करने के कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें बच्चे घर पर तो स्कूल जाने की बात कहते हैं लेकिन स्कूल नहीं पहुंचते हैं ऐसे में उनके परिजन ही उन्हें ढूंढ कर लाते हैं। लेकिन पूरे राजस्थान में यह शायद पहला ही ऐसा मामला है जिसमें बच्चों को ढूंढने के लिए स्कूल का स्टाफ सड़कों पर दौड़ करता हुआ नजर आया हो।

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