
जयपुर. 17 सितंंबर के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस पर आठ चीतों का तोहफा मिला है। देश में सत्तर साल के बाद चीतों के आगमन की बातें की जा रही हैं। लेकिन क्या आप जानतें हैं कि पूरे देश में एक ऐसा भी मौहल्ला है कि जहां चीते पालतू कुत्तों की तरह पाले जाते थे, उनके गले में पट्टे बांधकर उनको घर के बाहर या बाड़ों में रखा जाता था। चीतों के रख रखाव और लालन पालन के कारण उस मौहल्ले का नाम ही मौहल्ला चीतावालान पड़ गया है। यह मौहल्ला राजस्थान की राजधानी जयपुर में पुराने शहर में स्थित है। आज भी इसे इसी नाम से जाना और पहचाना जाता है। आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य सभी तरह के दस्तावेजों में इसी नाम का जिक्र है।
रॉयल फैमिली ने बनाया था ये मौहल्ला
दरअसल मौहल्ला चीतावालान जयपुर के रामगंज बाजार के नजदीक स्थित है। यहां करीब सौ साल पहले तक चीते रखे जाते थे और इसी कारण इसका ये नाम पडा। यहां के रहवासियों का कहना है कि हमारे परदादा चीते पालते थे। मौहल्ले में रहने वाले लोग दूसरे राज्यों से आए हुए शिकारी परिवार के वंशज हैं। इन शिकारी परिवारों को जयपुर की रॉयल फैमिली ने ही बसाया था ।
राजकुमारी दिया कुमारी ने कहा-आज भी जयपुर में बना है ये मोहल्ला
रॉयल फैमिली के पास अफीका और ईरान से चीते लाए गए थे। इन चीतों की देखभाल के लिए वहीं से ही शिकारी परिवार यहां लाकर बसाए गए थे। ये चीतों को ट्रेनिंग देते थे और चीते रॉयल फैमिली के साथ शिकार पर जाया करते थे। राज परिवार की सदस्या और वर्तमान सांसद राजकुमारी दिया कुमारी का कहना है जयपुर और उदयपुर कई राजघरानों में चीते होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। हमारे जयपुर में तो मौहल्ला ही बना हुआ है। आज भी राजपरिवार में कुछ इस तरह के फोटोज लगे हुए हैं साथ ही राजपरिवार से जुड़े होटलों में भी ऐसी पिक्चर लगी हैं जिनमें शिकारी और चीते साथ दिख रहे हैं। लेकिन अब इनका नाम ही बाकि रह गया और चीते गायब हो गए......।
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