छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और राजस्थान (Rajasthan) की कांग्रेस सरकार (Congress Govt.) कोयला खान को लेकर आमने-सामने हैं। बिजली संकट (Power Crisis) के बीच दोनों राज्य एक-दूसरे की मदद को तैयार नहीं है। ऐसे में बिजली संकट गहराता जा रहा है। इस वजह से दोनों सरकारों के बीच तनाव बढ़ गया है। ऐसे में राजस्थान अपनी ही कोयला खान से माइनिंग नहीं कर पा रहा है।
जयपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और राजस्थान (Rajasthan) की कांग्रेस सरकार (Congress Govt.) कोयला खान को लेकर आमने-सामने हैं। बिजली संकट (Power Crisis) के बीच दोनों राज्य एक-दूसरे की मदद को तैयार नहीं है। ऐसे में बिजली संकट गहराता जा रहा है। इस वजह से दोनों सरकारों के बीच तनाव बढ़ गया है। ऐसे में राजस्थान अपनी ही कोयला खान से माइनिंग नहीं कर पा रहा है। छत्तीसगढ़ में अलॉट पारसा कोल ब्लॉक खान से माइनिंग के लिए छत्तीसगढ़ सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। इस कोल ब्लॉक की जमीन छत्तीसगढ़ के वन विभाग क्षेत्र में आती है और आदिवासी क्षेत्र में कुछ स्थानीय नेताओं और लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर छत्तीसगढ़ सरकार बैकफुट पर है और अब तक इसकी मंजूरी नहीं दी है।
जानकारी के मुताबिक, कोयला संकट के दौर में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने हाईलेवल की बातचीत की और 2 नवंबर को कोल मिनिस्ट्री से इस खनन के लिए क्लीयरेंस जारी करवाई थी। इससे पहले वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 21 अक्टूबर को ही क्लीयरेंस ली गई। दो केंद्रीय मंत्रालयों से राजस्थान 15 दिनों में दो महत्वपूर्ण क्लीयरेंस लेने में सफल रहा, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अंतिम स्वीकृति अटका दी है। ऐसे में राजस्थान अपनी ही कोयला खान से माइनिंग नहीं कर पा रहा है।
राजस्थान के सीएम से लेकर अफसर तक हैरान, नहीं जवाब दे रही छत्तीसगढ़ सरकार
बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में अलॉट परसा कोल ब्लॉक में अब तक हुए खनन से कोयला खत्म होने की कगार पर है। इस खान के कोयले से सिर्फ दिसंबर महीना ही निकल सकता है। इस संबंध में मुख्यमंत्री गहलोत ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) को पत्र लिखा और जरूरी स्वीकृतियां जारी करने का आग्रह भी किया। इस चिट्ठी के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। राजस्थान ऊर्जा विभाग के एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल, विद्युत उत्पादन निगम और ऊर्जा विकास निगम के अफसर भी छत्तीसगढ़ सरकार के आला अफसरों से संपर्क कर चुके हैं। उनसे जल्द स्वीकृति देने की मांग भी कर चुके हैं। लेकिन, अब तक छत्तीसगढ़ सरकार ने खनन के लिए जरूरी स्वीकृतियां जारी नहीं की हैं।
राजस्थान के लिए इसलिए जरूरी है ये माइन...
राजस्थान कोयला की कमी से बिजली संकट झेल रहा है। ऐसे में ये खान लाइफ लाइन की तरह है। इस कोल ब्लॉक से रोजाना 12 हजार टन यानी करीब 3 रैक कोयला मिलेगा। विभागीय अफसर बताते हैं कि 5 मिलियन टन कोयला हर साल निकाला जा सकेगा। अगले 30 साल के लिए 150 मिलियन टन कोयले का भण्डार है। इससे राजस्थान केंद्र की कोल इंडिया और सब्सिडियरी कंपनियों पर कम निर्भर रहेगा। इस खान के अलावा, राजस्थान सरकार छत्तीसगढ़ में एक अन्य 1136 हेक्टेयर की वन विभाग की जमीन पर माइनिंग की फाइल आगे बढ़ाने की कोशिश में लगा है। इस संबंध में केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों से क्लीयरेंस मिलने के बाद माइनिंग शुरू हो सकेगी।