राजस्थान में बाल विवाह पर घमासान: अपने ही बिल को वापस लेने पर मजबूर CM गहलोत, राज्यपाल से किया निवेदन

 राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार (CM Ashok Gehlot) ने अपने ही बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल को (Rajasthan Child Marriage Registration Bill) वापल ले लिया है। बता दें कि पिछले महीने सितंबर में विधानसभा भवन में इस बिल को पारित किया गया था। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 12, 2021 5:38 AM IST / Updated: Oct 12 2021, 11:30 AM IST

जयपुर (राजस्थान). राजस्थान में गहलोत सरकार ने बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल (Rajasthan Child Marriage Registration Bill) वापल ले लिया है। बता दें कि पिछले महीने सितंबर में विधानसभा भवन में इस बिल को पारित किया गया था। लेकिन इस पर बाद में प3देश के तमाम सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने हंगामा करते हुए विरोध जताया था। जिसके चलते प्रदेश के राज्यपाल ने इस बिल को अपने पास रखा था। अब मुख्यमंत्री गललोत (CM Ashok Gehlot) ने यू-टर्न लेते हुए बिल को वापल लेने का ऐलान कर दिया है। 

सीएम ने बिल को लौटाने के लिए राज्यपाल से किया अनुरोध
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कहा  विवाहों के अनिवार्य पंजीयन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की भावना के अनुरूप ही राजस्थान विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक,2021 लाया गया है। परंतु बाल विवाह को लेकर जो गलत धारणा बन गयी है,तो हम बिल को माननीय राज्यपाल महोदय से अनुरोध करेंगे कि इसे सरकार को पुनः लौटा दें।

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क्या था बाल विवाह एक्ट
बता दें कि 17 सितंबर को गहलोत सरकार ने विधानसभा में जो बाल विवाह पारित किया था। उसके तहत अगर राजस्थान में कोई लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की उम्र 21 से कम है तो उसके माता-पिता को 30 दिन के अंदर इसकी सूचना रजिस्ट्रेशन अधिकारी को देनी होगी।  इसके आधार वर रजिस्ट्रेशन अधिकारी उस बाल विवाह को रजिस्टर्ड करेगा। यह रजिस्ट्रेशन पहले जिला स्तर पर होता था, लेकिन गहलोत सरकार ने इसे ब्लॉक लेवल करने के आदेश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर भी की गई
इस बिल के बाद प्रदेश के विपक्षी दल बीजेपी ने बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान का जमकर विरोध किया था। इतना ही नही विधानसभा का वॉकआउट भी कर दिया था। तभी से लेकर अब तक इस बिल को लेकर विरोध हो रहा था। इतना ही नहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने राजस्थान सरकार को पिछले दिनों चिट्ठी लिखी थी। आयोग ने विधेयक के प्रावधानों पर फिर से विचार करने और समीक्षा करने को कहा था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है।

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