इस डॉक्टर का रिकॉर्ड, 10 पेन से 70 घंटे में 76100 राम नाम लिखकर बनाई राम मंदिर की आकृति

डॉ. शिवानी ने बताया कि राममंदिर का यह चित्र नए साल पर बनाना शुरू किया था। मंदिर की आकृति 76100 शब्दों से बनाई गई है। शब्दों को इस तरह लिखा गया है कि दूर से देखने पर एक साधारण चित्र दिखता है, लेकिन नजदीक से देखने पर राम नाम एक-एक शब्द दिखते है। इसे साधारण चित्र को दस रंगों से बनाया गया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Apr 3, 2021 9:02 AM IST

नागौर (Rajasthan) । मूंडवा तहसील के ढाढरिया कला की डॉ. शिवानी मंडा ने पेन से 76 हजार 100 राम नाम से श्रीराम मंदिर की आकृति बनाकर इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है। बता दें कि इस कलाकृति में 70 घंटे का समय लगा। केवल दस रंगों के साधारण पेन से बनाई गई यह तस्वीर आज आकर्षक का केंद्र बनी है। 

रोज दो से तीन घंटे देती थी समय
डॉ. शिवानी मंडा वर्तमान में जोधपुर के लोहावट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत हैं और पेंटिंग का शौक है। उनकी इसी हॉबी के चलते इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड की ओर से उनको इस उपलब्धि के लिए बधाई दी गई है। वे लोहावट सीएचसी से आने के बाद रोजाना दो से तीन घंटे इस आकृति को बनाने में लगाती थी। उन्होंने यह कलाकृति 75 घंटे व 29 दिन में बनाई है।

नए साल पर शुरू किया था चित्र बनाना
डॉ. शिवानी ने बताया कि राममंदिर का यह चित्र नए साल पर बनाना शुरू किया था। मंदिर की आकृति 76100 शब्दों से बनाई गई है। शब्दों को इस तरह लिखा गया है कि दूर से देखने पर एक साधारण चित्र दिखता है, लेकिन नजदीक से देखने पर राम नाम एक-एक शब्द दिखते है। इसे साधारण चित्र को दस रंगों से बनाया गया है।

शिवानी की थी ये इच्छा
शिवानी की इच्छा थी कि अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है तो वे भी कुछ करके दिखाए। अब शिवानी चाहती है कि उनका यह चित्र अयोध्या में बनने वाले म्यूजियम में लगे।

रामेला मंदिर जोधपुर का भी बना चुकी हैं चित्र
शिवानी का कहना है कि वे रामेला मंदिर जोधपुर का भी चित्र बना चुकी है। शिवानी को क्रिएटिविटी का ऐसा शौक है कि थोड़ा सा समय मिले तो वह कुछ न कुछ बनाने के लिए बैठ जाती हैं। यह उन्हें अलग बनाती है।

बना दीं थी 101 कलाकृतियां
डॉ. शिवानी एक साल पहले 7 दिन में वेस्ट प्लास्टिक पर 101 कलाकृतियां बना अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवा चुकी है। सिंगल यूज प्लास्टिक से कई तरह की पेटिंग बना चुकी है। ताकी जिसे कचरा समझकर फेंका जाता है उसका भी सही उपयोग हो सके।

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