किसान की इन 3 बेटियों ने किया ऐसा कमाल, हर कोई कह रहा सलाम..शादी से पहले पिता तो अब पति दे रहे साथ

बता दें कि देश में एक साथ तीन बहनों को डॉक्टरेट की उपाधि मिलने का यह दूसरा वाकया है। इससे पहले मध्य प्रदेश की तीनों बहनों ने यह कामयाबी हासिल की थी। तीनों बहनों शादी हो चुकी है, बचपने में पिता ने आगे बढ़ाया, अब पति हर कदम पर दे रहे हैं साथ।

Asianet News Hindi | Published : Dec 28, 2020 8:09 AM IST

जोधपुर (राजस्थान). भारत की बेटियां भी अब किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है। वह अपनी सफलता का परचम चारों तरफ लहरा रही हैं। ऐसा ही कमाल कर दिखाया है राजस्थान झुंझुनूं जिले के किसान की तीन बेटियों ने, जिनकी तारीफ आज पूरा गांव कर रहा है। तीनों बहनों ने एक ही दिन पीएचडी की डिग्री हासिल की है।

तीनों बहनों ने अलग-अलग विषय में हासिल की सफलता
दरअसल, कामयाबी की यह कहानी है किसान  मंगलचंद की तीन बेटियों सरिता, किरण और अनिता की। जिनको जगदीश प्रसाद झाबरमल टिबरेवाला विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि मिली है। खास बात यह है कि तीनों बहनों ने तीन अलग-अलग विषयों में यह डिग्री हासिल की है। सरिता ने भूगोल, किरण ने रसायन शास्त्र और अनिकता ने एजुकेशन में पीएचडी पूरी की है।

देश का यह दूसरा वाकया, जब 3 बहनों ने किया ये कमाल
बता दें कि देश में एक साथ तीन बहनों को डॉक्टरेट की उपाधि मिलने का यह दूसरा वाकया है। इससे पहले मध्य प्रदेश की तीनों बहनों अर्चना मिश्रा, अंजना और अंशू ने एक साथ पीएचडी की डिग्री हासिल करके लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया था।

तीनों बहनों की हो चुकी है शादी
किसान भागचंद ने बताया कि उनकी तीनों बेटी सरिता, किरण और अनिता की शादी हो चुकी है। वह बचपन से ही पढ़ने में होशियार थीं। अक्सर वो कहती थीं कि पिता जी हमारी शादियां ऐसी जगह करना जो हमें पढ़ाई करने में ना रोके। तीनों के ससुराल वालों ने उनका साथ दिया तो वह इस मंजिल तक पहुंच गई हैं।

माता-पिता गांव में रहे, लेकिन बेटियों को भेजा शहर
तीनो बेटियों का कहना है कि उनकी इस कामयाबी में पिता मंगलचंद का सबसे बड़ा योगदान है। अगर वह हमको मेहनत करके नहीं पढ़ाते तो शायद यह मुकाम हासिल नहीं कर पाते। सरिता ने कहा कि हमारा जन्म जरुर गांव में हुआ है, लेकिन पापा ने हम तीनों बहनों को पढ़ने के लिए शहर हॉस्टल में भेजा। पहले हमने  झुंझुनूं में पढ़ाई पूरी की इसके बाद आगे के लिए जयपुर भेजा। जिस तरह से हमारे पिता ने पढ़ने के लिए आगे भेजा में चाहती हूं कि हर बाप अपनी बेटी को लिए पढाए।
 

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