बदन टूट रहा, गले में खराश है और हल्का बुखार भी है, तब ज्यादातर लोगों के मन में यही सवाल आता है, जानिए क्या

Published : Sep 21, 2020, 09:48 AM IST
बदन टूट रहा, गले में खराश है और हल्का बुखार भी है, तब ज्यादातर लोगों के मन में यही सवाल आता है, जानिए क्या

सार

शुरुआत में कोरोना संक्रमण को लेकर लोग पैनिक हुए। लेकिन ज्यों-ज्यों संक्रमण बढ़ता गया, लोग बेपरवाह होते चले गए। आज हालत यह है कि बड़ा तबका सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहा। मास्क लगाना जैसे बोझ लगने लगा है। कोरोना संक्रमण को लोग अब हल्के में लेने लगे हैं। जबकि जरूरत सतर्क रहने की है। ये सीनियर आरएएस अफसर ऐसा ही कुछ बयां कर रहे हैं।

जयपुर, राजस्थान. कोरोना संक्रमण (Corona infection) तेजी से फैल रहा है। यह अलग बात है कि उसका असर अब उतना घातक नहीं रहा। यानी इस बीमारी से मृत्युदर कम हो गई है। यही वजह है कि लोग संक्रमण को हल्के में लेने लगे हैं। जबकि जरूरत सतर्कता बरतने की है। दरअसल, शुरुआत में कोरोना संक्रमण को लेकर लोग पैनिक हुए। लेकिन ज्यों-ज्यों संक्रमण बढ़ता गया, लोग बेपरवाह होते चले गए। आज हालत यह है कि बड़ा तबका सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहा। मास्क लगाना जैसे बोझ लगने लगा है। कोरोना संक्रमण को लोग अब हल्के में लेने लगे हैं। जबकि जरूरत सतर्क रहने की है। ये सीनियर आरएएस अफसर ऐसा ही कुछ बयां कर रहे हैं।

ये लक्षण हल्के में न लें
अगर आपका बदन टू रहा है, गले में खराश है और बुखार भी महसूस हो रहा है, तो आप इसे हल्के में नहीं लीजिए। ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह सामान्य बुखार है। जबकि यह कोरोना के लक्षण भी होते हैं। ऐसे ही लक्षण सीनियर आरएएस अधिकारी गिरीश पाराशर (RAS Girish Parashar)  को भी महसूस हुए। लोगों ने और सोशल मीडिया पर ज्ञान मिला कि यह आम बात है। कोई कोरोना-वोरोना नहीं है। लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज नहीं किया। पॉजिटिव रिपोर्ट आने से पहले ही खुद को क्वारेंटाइन कर लिया। वे बताते हैं कि 15 अगस्त के बाद से वे अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे। उन्होंने अपने परिचितों और मित्रों को बताया, उन्होंने हंसकर टाल दिया। वे उनसे मिलने पर अड़े रहे।


पाराशर बताते हैं कि उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी और खुद  को क्वारेंटाइन कर लिया। इससे परिवार के बाकी लोग संक्रमित होने से बच गए। इसके बाद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। लेकिन सतर्कता के चलते कम्यूनिटी स्प्रेड होने से बच गया। पाराशर मानते हैं कि अगर वे गलती कर देते और उनके कारण पूरा परिवार पॉजिटिव हो जाता, तो यह उनके लिए पैनिक होता। उन्होंने अपना सारा सामान अलग कर लिया था। पूरी तरह ठीक होने के बाद 3 सितंबर को आफिस लौटे पाराशर सलाह देते हैं कि अगर आप संक्रमित हैं, तो इसमें शर्मिंदगी की कोई वजह नहीं। यह तो बीमार है।

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