कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों को हॉर्स ट्रेडिंग का डर सता रहा है। यही कारण है कि विधायकों की बाड़ेबंदी की गई है। कांग्रेस विधायक उदयपुर के लग्जरी रिसॉर्ट में ठहराए गए हैं तो भारतीय जनता पार्टी के विधायक जयपुर के एक फाइव स्टार रिसॉर्ट में हैं।
जयपुर : राजस्थान (Rajasthan) में 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections 2022) में एक और जांच एजेंसी सक्रिय हो गई है। रविवार को एसीबी, सोमवार को चुनाव आयोग और मंगलवार को ईडी की भी इसमें एंट्री हो गई है। विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंकाओं के बीच गहलोत सरकार में नंबर दो माने जाने वाले जलदाय मंत्री महेश जोशी (Mahesh Joshi) को भी हॉर्स ट्रेडिंग का डर सता रहा है। यही कारण है कि उन्होनें पहले एंटी करप्शन ब्यूरो, फिर चुनाव आयोग और अब ईडी को पत्र सौपा हैं। चुनाव से पहले और बाद में पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने की मांग की है। तीनों ही एजेंसियों ने महेश जोशी के शिकायत पत्र ले लिए हैं।
राजस्थान में नया नहीं है हॉर्स ट्रेडिंग जैसा मामला
दरअसल हॉर्स ट्रेडिंग के मामले राजस्थान में नया नहीं है। साल 2020 में भी कोरोना से ठीक पहले इसी तरह का सियासी घटनाक्रम हो चुका है। उस समय सरकार गिराने को लेकर बीजेपी और उनके साथ अन्य दलों पर गंभीर आरोप लगे थे। निर्दलीय विधायकों को रुपए के ऑफर भेजने की बातें भी सामने आई थी। कांग्रेस पर फोन टैप कराने के आरोप लगे थे। इन तमाम घटनाक्रम के बीच महेश जोशी ने एटीएस और एसओजी को विधायक खरीद फरोख्त की आशंका के चलते शिकायत पत्र सौपें थे। सरकार के ही विधायक और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) तक को पूछताछ के लिए बुलाने का नोटिस जारी कर दिया गया था।
कांग्रेस के डर के पीछे की वजह
इस बार 10 जून को राज्यसभा चुनाव हो रहे हैं। चुनाव में कांग्रेस के तमाम विधायकों समेत करीब दो दर्जन निर्दलीय और अन्य दलों से संबंध रखने वाले विधायक भी हैं। गहलोत सरकार का दावा है कि उनमें पास 126 MLA हैं, जबकि जीत के लिए सिर्फ 123 ही चाहिए। लेकिन इस बीच डर भी है कि इन विधायकों में से बीजेपी किसी को तोड़ न ले। किसी तरह का लालच न दे। यही कारण है कि सभी को एक ही जगह एक साथ रखा जा रहा है। इस बीच बीजेपी के धुरंधर नेता गुलाब चंद कटारिया कह चुके हैं निर्दलीय तो छोड़िए, हमारे संपर्क में तो खुद कांग्रेस के ही असंतुष्ट विधायक हैं। अब देखना है कि 10 जून को आखिर क्या होता है?
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