
जयपुर. राजस्थान में कानून के इतिहास में अब तक का सबसे अनोखा केस सामने आया है । करीब 8 साल पहले एक युवक की हत्या करने के बाद उसके हत्यारों ने पुलिस से मिलीभगत की। पुलिस ने कोर्ट में ऐसा झूठ बोला कि जज साहब भी चौक गए । पुलिस ने कहा कि चाकू और केस से जुड़े 15 सबूत थाने से बंदर चोरी करके ले गए। लेकिन जब साहब ने एक नहीं सुनी और सबूतों के तौर पर आज इस हत्याकांड में फैसला सुना ही दिया।
ये थी घटना
दरअसल जयपुर ग्रामीण में स्थित चंदवाजी थाना इलाके से अजीतगढ़ निवासी शशिकांत शर्मा 16 सितंबर 2014 को लापता हो गया था। वह अपनी बहन के घर था। 3 दिन बाद उसका शव सीएचसी परिसर में मिला। पुलिस ने जांच के बाद मोहनलाल कंडेरा और राहुल कंडेरा को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश कर दिया । सरकारी वकील रामलाल भांभू ने कोर्ट में 31 गवाहों के बयान करवाने के साथ ही 52 अन्य सबूत पेश किए। जिसके जरिए मोहनलाल और राहुल पर शशिकांत के परिवार की लड़कियों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था। शशिकांत ने इसे रोकने की कोशिश की थी और दोनों को ऐसा नहीं करने के लिए कहा था। इस बात से गुस्सा होकर ही दोनों ने शशिकांत का अपहरण किया उसे भयंकर यातनाएं दी और उसके बाद उसका मर्डर कर दिया था। इस मामले में बचाव पक्ष ने भी f.i.r. में मृतक के परिवार पर तरह-तरह के आरोप लगाए थे। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फॉरेंसिक रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य के आधार पर दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास एवं जुर्माने की सजा सुनाई है।
पुलिस से मिलीभगत कर बंदरों पर लगाया था चोरी का आरोप
ट्रायल के दौरान सजा से बचने के लिए दोनो आरोपियों ने पुलिसकर्मियों से डील कर ली थी। जब कोर्ट ने पुलिस से सबूत पेश करने के लिए कहा प्लानिंग के अनुसार पुलिसकर्मियों ने कहा कि माल खाने में खिड़की में रखे सबूत बंदर चोरी करके ले गए। यह रिपोर्ट रोज नामचा में भी चढ़ाई गई थी। जो 10 अप्रैल 2016 की थी। जिसमें सबूत ले जाने के लिए तत्कालीन माल थाना इंचार्ज को जिम्मेदार ठहराया गया था। इस पूरे मामले में आरोपी पक्ष ने सजा से बचने के लिए कोर्ट में सबूत पेश नहीं होने को आधार बनाया था। जिसका सरकारी वकील ने विरोध किया और अपना पक्ष बेहद गंभीरता से रखा। पूरे मामले को जज ने बेहद गंभीरता से सुना और उसके बाद आरोपी पक्ष के खिलाफ फैसला सुनाया ।
दोनो आरोपी को मिली सजा
अपर सेशन न्यायाधीश क्रमांक एक जयपुर जिला ने हत्या के दो आरोपियों (मोहनलाल और राहुल) को आजीवन कारावास के साथ ही 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही इस मामले में मिलीभगत करने वाले एक पुलिसकर्मी को पहले ही अपनी नौकरी गंवानी पड़ चुकी है।
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