राजस्थान पर चढ़ने लगा चुनावी रंगः ओवैसी के बाद, अब आ रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

राजस्थान में अगले साल यानि 2023 में विधानसभा के चुनाव होने वाले है। इसको लेकर भाजपा व कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। अमित शाह तक प्रदेश की यात्रा कर चुके है वहीं सीएम गहलोत भी जिलों को विजिट कर रहे है। अभी ओवेशी के बाद दिल्ली सीएम केजरीवाल राज्य में आने वाले है।

जयपुर. राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक राजस्थान के दौरे करने चालू कर चुके हैं। इन सबके बीच में पहली बार ओवैसी की पार्टी ने भी बड़े स्तर पर राजस्थान में राजनीति की जमीन तलाशने शुरू कर दिया है। ओवैसी ने बुधवार से अपनी पार्टी के लिए दौरे कर जनता को साथ लेना शुरू कर दिया है।  उन्होंने जयपुर और सीकर में धमाकेदार रैलियां की, जिनमें हजारों की संख्या में लोग जमा हुए। 

दिल्ली सीएम व आप पार्टी सुप्रीमों करेंगे राजस्थान का दौरा
 ओवैसी के बाद अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी राजस्थान आने की तैयारी कर रहे हैं । वह कुछ बड़े ऐलान राजस्थान की जनता के लिए करेंगे और उसके बाद अपनी पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव में बड़े स्तर पर उतारेंगे।  अरविंद केजरीवाल अगले महीने 7 एवं 8 अक्टूबर को जयपुर समेत प्रदेश के कुछ अन्य जिलों में दौरा करेंगे और जनता को जोड़ने की कोशिश करेंगे । 

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पहली बार दूसरे राज्य की पार्टियां दिखा रही दम
यह पहली बार है कि राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में अन्य राज्यों की पार्टियां बड़े स्तर में दखल देने की तैयारी कर रही है।  दिल्ली और पंजाब में जीत दर्ज करने के बाद अब आप पार्टी राजस्थान में तीसरे मोर्चे के नाम पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश कर रही है । आम आदमी पार्टी के राजस्थान संयोजक एवं प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा ने यह जानकारी जारी की है। विनय मिश्रा इससे पहले जयपुर जोधपुर भरतपुर समेत राजस्थान के कई बड़े शहरों का दौरा कर चुके हैं।  वे शहरों से पहले गांव की जनता को आप पार्टी से जुड़ना चाहते हैं । 

इस समय तीसरे मोर्चे का काम कर रही बसपा 
राजस्थान में वर्तमान में दो ही प्रमुख पार्टियां हैं जिनमें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी शामिल है ,लेकिन तीसरे मोर्चे के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली बसपा अब तीसरे मोर्चे का पद खोती जा  रही है। बसपा पार्टी के कई विधायकों ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी और उसके बाद उनको सरकार में आने का मौका मिला था। उनमें से कई विधायक अब सरकार के कई प्रमुख विभागों में मंत्री हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती की अब पार्टी पर पकड़ कमजोर होती जा रही है। 

 अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ,कांग्रेस ,आप, एआईएमआईएम , माकपा,  आरएलपी, बीटीपी , आरएलडी समेत कुछ अन्य राजनीतिक पार्टियां देखने को मिल सकती हैं। संभव है कि आने वाले साल में राजस्थान में भी अन्य कई राज्यों की तरह मिली जुली सरकार बनती दिखाई दे।

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