
जयपुर. राजस्थान के इकलौते एलीफेंट विलेज में भी आजादी का अमृत महोत्सव सिर चढ़कर बोला। पहले विलेज में हाथी मालिको और वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा ध्वजारोहण किया गया ।विलेज के एक हाथी ने झंडा फहराया । उसके बाद राष्ट्रगान हुआ जिसमें भी हाथी शामिल हुए । हाथी मालिकों का कहना था कि कोरोना के बाद हाथी की सवारी शुरू तो हो गई है लेकिन उसके बावजूद अभी भी सिर्फ 30 से 40 फ़ीसदी हाथियों को ही काम मिल सका है। ऐसे में परेशानी बढ़ती जा रही है। आज हाथी विलेज में हुए इस कार्यक्रम में देसी सैलानियों के साथ ही विदेशी सैलानी भी शामिल हुए। जयपुर के आमेर में स्थित हाथी विलेज में फिलहाल 90 हाथी है।
कोरोना के बाद बदले हालात
हाथी मालिक रफीक ने बताया कि कोरोना से पहले जो हालात है वह पूरी तरह से बदल चुके हैं। बाड़े के बहुत कम हाथी ही काम पर जा पाते हैं। एलीफेंट सफारी दुनिया भर में फेमस है, लेकिन उसके बावजूद भी काम नहीं मिल पाता है। कोरोना महामारी के बाद टूरिस्टों का आना कम हो गया है।
हाथी द्वारा टूरिस्ट के उपर हमले की पूरी बात बताई
पिछले दिनों एक एलीफेंट के द्वारा एक टूरिस्ट को टक्कर मारने के मामले के बारे में रफीक ने बताया कि टूरिस्ट एलीफेंट की लाइन में आ कर फोटो खींच रहा था, इस कारण एलीफेंट ने उसे धक्का मारा। हालांकि बाद में एलीफेंट को कई दिन के लिए बाडे़ से हटा दिया गया था। बता दे कि कुछ दिनों पहले एक हाथी ने टूरिस्ट को धक्का मार दिया था।
कुछ साल पहले सरकार ने बसाया था गांव
उधर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पूरी उम्मीद है जल्द ही हाथी गांव में पहले जैसी रौनक लौटेगी। सरकार टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए कई बड़ी प्लानिंग कर रही है। उनमें हाथी सफारी भी बेहद महत्वपूर्ण है। जल्द ही हाथी गांव और आमेर में पहले के जैसे रौनक देखने को मिलेगी। राजस्थान सरकार ने कुछ साल पहले ही हाथी गांव बसाया था। इसमें अधिकतर परिवार महावत है जो हाथी पालते हैं और हाथी चलाते हैं।
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