कांग्रेस के राष्ट्रीय पद की जब से चर्चा शुरू हुई है तभी से राजस्थान में कांग्रेस नेताओं के बीच फूट खुलकर सामने आने के बाद पिछले दो दिनों से जो कलह शुरू हुई है वह अभी तक शांत नहीं हो पाई है। अब विधायकों के इस्तीफे मामले में पार्टी कोई बड़ा एक्शन ले सकती है।
जयपुर. राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में 2 दिन पहले शुरू हुई कलह अभी तक खत्म नहीं हो पाई है। पार्टी की फूट अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है। दिल्ली से आए पार्टी के दोनों दूत भी पार्टी आलाकमान को कई बड़े नेताओं की नेगेटिव रिपोर्ट देने की तैयारी कर चुके हैं। यह रिपोर्ट पार्टी के नेता अजय माकन ने खुद अपने हाथों से लिखी है। यह रिपोर्ट आलाकमान तक पहुंचने के बाद प्रदेश के कई नेताओं पर गाज गिर सकती है। या तो पार्टी उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करेगी या फिर उन पर एक्शन लेगी।
रिपोर्ट के बाद आया नया भूचाल
अब यह रिपोर्ट तैयार होने के बाद प्रदेश की राजनीति में एक दिन नया ही भूचाल मचा हुआ है। सचिन पायलट के नाम के बाद अब मुख्यमंत्री पद के लिए पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा का नाम सुर्खियों में आ चुका है। हालांकि इससे पहले प्रताप सिंह खाचरियावास का भी नाम डिप्टी सीएम के लिए आगे आया था। लेकिन शांति धारीवाल के घर हुई बैठक के बाद आलाकमान ने प्रताप सिंह खाचरियावास के खिलाफ भी नेगेटिव रिपोर्ट ही तैयार की है। ऐसे में माना जा रहा है कि अबे प्रताप सिंह खाचरियावास इस दौड़ से बाहर हो गए हैं। इस पूरे सियासी घटनाक्रम में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने न तो किसी भी नेता के बारे में कोई टिप्पणी की है। ना ही पार्टी से संबंधित कोई बयान दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा इस लड़ाई में छुपे रुस्तम होने का काम करेंगे।
राजनीतिक सलाहकारों ने कही ये बात
राजनीतिक सलाहकारों की मानें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक सुनियोजित तरीके से पार्टी आलाकमान के भेजे गए दो बड़े नेताओं के सामने राजस्थान में यह सियासी तमाशा करवाया है। पहले से ही नियोजित तरीके से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा को अपने हर एक दौरे और हर एक मीटिंग में साथ रहते हुए नजर आए। वही गहलोत ने पार्टी आलाकमान से पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा का नाम भी सीएम पद के लिए दिया हुआ है।
डोटासरा सीएम बने तो पायलट का क्या होगा
ऐसे हालात में यदि पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो सचिन पायलट को डिप्टी सीएम का पद या फिर वापस एक बार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद मिल सकता है। लेकिन सचिन पायलट दोनों ही पदों पर काम करने को तैयार नहीं है। ऐसे में वह पार्टी से बगावत कर सकते हैं। इस बार सचिन पायलट के पास पिछली बार से ज्यादा विधायकों की संख्या भी है।
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