राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम से साइबर ठगी मुख्यमंत्री की डीपी लगे मोबाइल नंबर से प्रोटोकॉल अफसर को आया मैसेज लिखा- 2 लाख रुपए के अमेजॉन वाउचर भेज दो अभी मीटिंग में हूं बाद में रुपए लौटा दूंगा। 2 दिन में तीन मोबाइल नंबर से चार मिनिस्टर और 3 आईपीएस अफसरों को बनाया गया निशाना।
जयपुर. जयपुर में साइबर ठगों ने इस बार तो कमाल ही कर दिया ठगों ने मुख्यमंत्री की डीपी व्हाट्सएप पर लगाकर लोगों से रुपयों की मांग कर डाली। इस बारे में जब प्रशासनिक अफसरों को पता चला तो हड़कंप मच गया । आनन-फानन में डीजीपी को इसकी सूचना दी गई और डीजीपी ने अपने स्तर पर इस पूरे मामले की कार्यवाही शुरू करवा दी । गौरतलब है कि 2 दिन के अंदर इन ठगों ने तीन अलग-अलग मोबाइल नंबर से चार मिनिस्टर और तीन आईपीएस ऑफिसर को निशाना बनाया है। मुख्यमंत्री के नाम से ठगी का राजस्थान में यह पहला ही के स सामने आया है।
मुख्यमंत्री के प्रोटोकॉल में लगे अफसर को ही भेज दिया मैसेज
दरअसल साइबर ठग ने मोबाइल नंबर 96017 89128 पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की डीपी लगाई और डीपी लगाने के बाद मुख्यमंत्री का प्रोटोकॉल देख रहे अफसर नरेश विजय को ही व्हाट्सएप पर मैसेज भेज दिया और खुद को सीएम बताते हुए 2 लाख रुपए के अमेजॉन गिफ्ट मांग लिए । इसके अलावा अन्य रुपयों की मांग भी की । मुख्यमंत्री के नाम से यह मैसेज आते ही अफसर सब समझ गए और उन्होंने सीएमओ में इसकी जानकारी दी। सीएमओ से यह जानकारी पुलिस मुख्यालय तक भेजी गई और उसके बाद अब इस नंबर प रठगी करने की कोशिश करने वाले को पकड़ने की तैयारी की जा रही है ।
2 दिन में तीन अलग-अलग नंबरों से चार मंत्री और 3 आईपीएस अफसरों को मैसेज
बुधवार सवेरे से ही तीन अलग-अलग मोबाइल नंबर और से इस तरह के मैसेज भेजे जा रही है। सबसे पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एडीजी दिनेश एमएन के नाम से रुपए मांगे गए। उनकी फोटो डीपी पर लगाई गई। उसके बाद एसीबी के डीजी बी एल सोनी और बुधवार शाम तक तो डीजीपी राजस्थान एम एल लाठर तक की फोटो लगाकर रुपए मांगे गए । इसी दौरान कांग्रेस के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, सालेह मोहम्मद , जाहिदा खान और एक अन्य मंत्री के नाम से फोटो लगा रुपए मांगे गए। बड़ी बात यह है कि 2 दिन बीत जाने के बावजूद भी उन तीन व्यक्तियों के बारे में जानकारी नहीं जुटाई जा सकी है। जिन तीन व्यक्तियों ने इन मोबाइल नंबर उसे इस तरह के साइबर ठगी की कोशिश की है।
उधर साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि अगर पुलिस इन लोगों के मोबाइल नंबर तक पहुंचकर आईडी भी जांच लेती है तो यह 99% चांस है कि उनकी आईडी फर्जी हो सकती है । गलत जानकारी देकर इस तरह के नंबर लिए जाते हैं, और उसके बाद लोगों को परेशान किया जाता है।