झारखंड राज्य में स्थित जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाने का विरोध करने के लिए अनशन पर बैठे थे राजस्थान के कई जैन संत। अनशन में बैठे एक जैन संत सुज्ञेयसागर ने अपनी देह त्याग दी है। इस घटना के चलते पूरे राजस्थान में विरोध पर उतरा हुआ है जैन समाज।
जयपुर (jaipur). झारखंड में स्थित जैन समाज का बड़ा तीर्थ सम्मेद शिखर पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है। झारखंड सरकार इस शिखर को टूरिस्ट प्लेस घोषित करने की तैयारी कर रही है। जबकि राजस्थान समेत अन्य कुछ राज्यों के जैन समाज ऐसा करने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सम्मेद शिखर जैन समाज का तीर्थ है और इससे जैन समाज की भावनाएं जुड़ी हुई है। इस फैसले का लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है और इसे ही देखते हुए पिछले कई दिन से राजस्थान के हर शहर में जैन समाज ने मौन जुलूस धरने और प्रदर्शन किए हैं।
झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ अनशन पर बैठे थे मुनि
अब झारखंड सरकार के इस फैसले के खिलाफ जयपुर के एक जैन मुनि ने अपनी देह त्याग दी है। 10 दिन से उन्होंने ना तो अन्न का एक दाना छुआ और ना ही पानी की एक भी बूंद ग्रहण की। इन जैन मुनि का नाम है सुज्ञये सागर महाराज। महाराज ने आज अपनी देह त्याग दी। उनके देहावसान की सूचना जैसे ही जैन समाज में पहुंची बड़ी संख्या में लोग जयपुर के सांगानेर में स्थित सांगी जी के मंदिर पहुंचे। वहीं पर महाराज ने अंतिम सांस ली उसके बाद मंदिर से उनकी डोल यात्रा निकाली गई। उन्हें जयपुर में ही अंतिम समाधि दी जाएगी।
पारसनाथ पहाड़ी को टूरिस्ट स्पॉट घोषित करने को लेकर है विवाद
जैन समाज से ताल्लुक रखने वाले पदाधिकारी रोहित जैन ने बताया कि झारखंड सरकार हट पर उतरी हुई है। सरकार ने गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को ही टूरिस्ट प्लेस घोषित कर दिया है। इस पहाड़ी पर ही देशभर के जैन समाज का तीर्थ सम्मेद शिखर भी स्थित है। इसे जैन समाज का सर्वोच्च तीर्थ माना जाता है। समाज के लोगों का कहना है कि इसे टूरिस्ट प्लेस घोषित करने के बाद इसकी मर्यादा कम होने लगेगी।
रोहित जैन ने कहा कि हमारे मुनि ने इस शिखर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया है। हम लोग इस बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। इस बारे में फिलहाल राजस्थान सरकार ने झारखंड सरकार से किसी भी तरह का कोई पत्राचार नहीं किया है।