इमोशनल खबरः 2 दिन से मां को ढूंढ़ रही 10 माह की बच्ची, कस्टडी के लिए नाना-नानी व दादा-दादी में संग्राम

अपनी फूल सी मासूम बच्ची को एक साथ पालने की चाह लिए दोनों कपल जयपुर ट्रांसफर के लिए आए थे। उस मासूम को क्या पता था कि उसके सिर से मां- बाप दोनों का साया उठ जाएगा। अब आखिरी निशानी होने के कारण दादा- नाना कस्टडी में लेने के एक दूसरे से लड़ रहे है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Jun 27, 2022 12:14 PM IST / Updated: Jun 27 2022, 05:56 PM IST

जयपुर (jaipur). 10 महीने की बच्ची को 2 दिन से अपनी मां का इंतजार है, लेकिन अब वो इस दुनिया में नहीं है। रोती-बिलखती बच्ची कभी नाना-नानी तो कभी परिवार के अन्य सदस्यों के पास जाकर मां की गोद तलाश रही है। लेकिन जिसके पास भी वो जाती है कुछ ही मिनट में वो वहां से दूर होना चाहती है। क्योंकि उसे मां वाली गोद जो नहीं मिल रही। यह सच्ची कहानी है 10 महीने की उस मासूम की जिसके माता और पिता दोनों सरकारी कर्मचारी थे। बच्ची का भविष्य बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब भविष्य अंधकार में छोड़ कर चले गए।  

आखिरी निशानी के लिए दादा-दादी और नाना-नानी में महाभारत

दरअसल, जयपुर शहर के शिप्रा पथ थाना क्षेत्र में शनिवार दोपहर द्रव्यवती नदी में कूदकर जान देने वाली मधुबाला और उनको बचाने की कोशिश में जान गंवाने वाले उनके पति तरुण की 10 महीने की बच्ची है। बच्ची के भविष्य के लिए ही मां सूरतगढ़ से तबादला कराकर जयपुर आना चाहती थी, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। अब हालात यह है बिना माता-पिता के बच्ची का रो रोकर बुरा हाल है। दूध नहीं पीने के कारण उसकी तबीयत भी सही नहीं है। बच्ची के नाना-नानी उसे अपने साथ ले जाना चाहते हैं। उनका कहना है- यह उनकी बेटी मधु की आखिरी निशानी है। वहीं, दादा-दादी का कहना है- तरुण हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उसकी कमी हम इस बच्ची को देखकर पूरा करने की कोशिश करेंगे। 

बच्ची का मामला कोर्ट भी जा सकता है- वकील

शिप्रा पथ थाना पुलिस का कहना है- फिलहाल बच्ची दादा-दादी के पास है। नाना-नानी भी उसे ले जाना चाहते हैं। दोनों परिवार अपने बच्चों की आखिरी निशानी पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। संभवत मामला कोर्ट में भी जा सकता है। राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जितेंद्र मिश्रा का कहना है- इस तरह के केस बेहद विरले ही सामने आते हैं। बच्ची किसके पास रहेगी, अगर यह दोनों परिवारों ने तय नहीं किया तो इसे कोर्ट तय करेगा। बच्चे की परवरिश को अच्छे से करने के लिए दोनों परिवारों को बहुत सबूत देने होंगे। तब जाकर यह तय होगा कि वो किसे मिलेगी। परिवार की तमाम परिस्थितियां भी यह सब डिसाइड करने में महत्वपूर्ण साबित होंगी।

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