राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह के चलते सुनने में आ रहा है कि गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली से पर्यवेक्षक जयुपर पहुंच सकते है। ताकि प्रदेश में जारी राजनीतिक घमासान को शांत किया जा सके।
जयपुर (jaipur).राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति ने फिर से नया मोड़ लिया। तीन दिन पहले ही प्रियंका गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि जल्द ही नया सवेरा होने वाला है। पायलेट खेमे के माने जाने वाले आचार्य प्रमोद के इस बयान के बाद पायलेट खेमे की बांछे खिल गई थीं, लेकिन अब राजस्थान प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे की पेशकश के बाद फिर से समीकरण बदल गए हैं। अब पायलेट खेमा बैकफुट पर जाता दिख रहा है और खेमे के नेताओं का दर्द फूटकर बाहर आने लगा है।
इस तरह से चला पूरा घटनाक्रम, शुरुआत 25 सितबंर से हुई....
दरअसल 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक लेने दिल्ली से दो पर्यवेक्षक जयपुर आए थे। लेकिन बैठक नहीं ले सके। विरोध और अनुशासनहीनता हो गई। वे लोग दिल्ली चले गए और सोनिया गांधी को रिपोर्ट दे दी। सीएम गहलोत और उनके नजदीकी मंत्रियों पर आरोप लगे अनुशासनहीनता के। मुद्दा था कि सीएम गहलोत दिल्ली नहीं जाना चाहते, वे राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बनाना चाहते थे और राजस्थान के सीएम ही रहना चाहते थे। जबकि गांधी परिवार उनको तरक्की देना चाहता था। बाद में खरगे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।
नहीं थमा कुर्सी का किस्सा
सीएम को दिल्ली भेजकर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलेट सीएम की कुर्सी पर बैठना चाहते थे। लेकिन यह कुर्सी का किस्सा अभी तक भी जारी है....। दिल्ली से अब सूचना आ रही है कि जल्द ही पर्यवेक्षकों की एक टीम फिर से विधायक दल की बैठक लेने के लिए जयपुर आने वाली है। लेकिन इस बीच पायलेट के करीब रहने वाले अजय माकन ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। अब पायलेट गुट के नेता खिलाड़ी लाल बैरवा और वेद प्रकाश सोलकी का कहना है कि एक बार फिर से विधायक दल की बैठक बुलाने का समय आ गया है।
नेताओं का कहना है कि माकन ने आहत होकर पद छोड़ने की तैयारी की है, हम शर्मिंदा हैं। चर्चा है कि अब फिर से सीएम की कुर्सी को लेकर होने वाला बवाल और बढ़ सकता है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सचिन पायलेट को कुर्सी मिलेगी या फिर सीएम गहलोत बने रहेंगे........?