
जयपुर. राजस्थान में महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों के मामले में राजस्थान पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है । महिलाओं से जुड़े हुए मामलों में संवेदना रखते हुए पुलिस ने इस तरह के मामलों में 57 दिन में ही न्याय दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है॰ पहले महिलाओं से जुड़े हुए मुद्दों पर न्याय मिलने में 118 दिन तक का समय औसतन लगता था। अब यह समय घटाकर सिर्फ 57 दिन पर ला दिया गया है। मुख्यमंत्री के डीजीपी एमएलए लाठक को निर्देश है कि 57 दिन के समय को भी और कम किया जाए और महिलाओं को जल्द से जल्द न्याय दिलाया जाए । गौरतलब है कि राजस्थान पहला ऐसा राज्य है, जहां पर महिलाओं से संबंधी अपराध पूरे देश में सबसे ज्यादा दर्ज होते हैं और अब न्याय दिलाने के मामले भी पूरे देश में सबसे पहले दिन हो रहे हैं।
देश के अन्य राज्यों से भी कम समय में न्याय
न्याय दिलाने के मामलों में भी पूरे देश के किसी भी राज्य से सबसे कम समय औसतन लग रहा है। यह 57 दिन का समय पिछले 6 महीनों में दर्ज हुए मुकदमों में मिले न्याय के औसत के आधार पर दर्ज किया गया है। राजस्थान पुलिस के सीसीटीएनएस बोर्ड पर उपलब्ध तथ्यों के अनुसार वर्ष 2017 में दुष्कर्म के प्रकरणों में अनुसंधान पर औसतन 435 दिन लग रहे थे। अनुसंधान का समय वर्ष 2018 में घटकर 211 दिन, वर्ष 2019 में 140 दिन, वर्ष 2020 में 118 दिन रह गया था। अब इस अनुसंधान समय को और कम करने पर ध्यान दिया जा रहा हैं।
मुकदमों में चालान का प्रतिशत सबसे ज्यादा
राजस्थान में महिला अत्याचार के प्रकरणों में चालानी प्रतिशत 99.98 प्रतिशत रहा। दहेज मृत्यु एवं दुष्कर्म के प्रकरणों में चालानी शत प्रतिशत रही। प्रदेश में वर्ष 2022 में जून माह तक पॉक्सो के 1892 मामलों सहित कुल 23 हजार 432 महिलाओं के विरुद्ध हुए अपराधों के अभियोग दर्ज किए गए । इनमें दुष्कर्म के 3617 प्रकरण भी शामिल है। वर्ष 2022 में जून माह तक दर्ज 23 हजार 432 अभियुक्तों में से जांच के बाद 48.60 प्रतिशत प्रकरण झूठे पाए गए।।
मुखमंत्री के निर्देश- महिलाओं से जुड़े हुए हर मामले हो दर्ज
दरअसल राजस्थान के मुख्यमंत्री ने महिलाओं से जुड़े हुए प्रत्येक मामले को दर्ज करने के निर्देश राजस्थान पुलिस को दिए हुए हैं। यही कारण है कि राजस्थान के 915 पुलिस थानों में महिलाओं से जुड़े हुए अपराध प्राथमिकता से दर्ज किए जा रहे हैं । हालांकि इससे राजस्थान में महिलाओं से जुड़े मामलों की संख्या बढ़ रही है और प्रदेश का देश में महिलाओं से जुड़े हुए मामले को लेकर पहला नंबर पहुंच गया है । मुख्यमंत्री का कहना है कि नंबरों पर नहीं जाना है । हम देश में पहले नंबर पर हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता , फर्क पड़ता है कि महिलाओं को किसी भी कीमत पर न्याय मिले।
वर्ष 2017 में दुष्कर्म से संबंधित 33.4 प्रतिशत प्रकरण न्यायालय के माध्यम से दर्ज होते थे। वर्ष 2018 में 30.5 प्रतिशत, वर्ष 2019 में 18.6 प्रतिशत, वर्ष 2020 में 1.8 प्रतिशत और वर्ष 2021 में 16.7 प्रतिशत प्रकरण न्यायालय के माध्यम से दर्ज हुए। जबकि वर्ष 2022 में जून माह तक न्यायालय के माध्यम से दर्ज होने वाले प्रकरणों में और कमी आई और मात्र 10.7 प्रतिशत प्रकरण ही न्यायालय के माध्यम से दर्ज हुए।
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