देश भर में अभी दीवाली आई भी नहीं है और उसके पहले ही रासस्थान सरकार ने प्रदेश की जनता को श्राद्धपक्ष में ही एक बड़ा तोहफा दे दिया है। राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान में जमीनों के पट्टों को रेट में कमी की है। इससे लाखों लोगों को फायदा होगा।
जयपुर. राजस्थान में वर्तमान में पितृपक्ष चल रहा है। लेकिन इस पितृपक्ष में ही सरकार ने प्रदेश के लाखों लोगों के लिए बड़ा तोहफा दिया है। दरअसल सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान में जमीनों के पट्टो के लिए नई रेटों का निर्धारण किया है। यह नई रेट पुरानी रेट से कम है और इन नई रेट के अनुसार वे लाखों लोग भी पट्टे ले सकेंगे जो ज्यादा मूल्य देने के कारण अभी तक पट्टे नहीं ले सके थे। सरकार का मानना है कि इस बदलाव के बाद अब प्रदेश के लगभग सभी लोग अपनी अपनी जमीनों और मकानों के पट्टे ले सकेंगे और उसके बाद सरकार के पास भी उन मकानों एवं भूखंड के बारे में जानकारी रहेगी। इससे पहले अब तक पट्टो की रेट ज्यादा होने के कारण करीब 30% लोग ही पट्टे लेने पहुंच रहे हैं ।
इस तरह रेट कम कर दी गई है सरकार की ओर से
प्रशासन शहरों के संग अभियान से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 300 वर्ग गज के मकान के लिए अब पट्टा लेने वालों को कम दाम देने होंगे। पहले लीज राशि की गणना आरक्षित दर पर की जाती थी लेकिन अब 300 वर्ग गज या उससे बड़े मकानों में लीज राशि की गणना आवंटन दर पर की जाएगी। प्रति वर्ग गज सरकार को पट्टों के लिए जो पैसा दिया जाता है वह कम हो जाएगा। सरकार इससे पहले 300 वर्ग गज या उससे बड़े मकानों पर आरक्षित दर का 25 फ़ीसदी तक पट्टे के लिए ले रही थी। लेकिन अब इस राशि को कम कर के नियमानुसार 10% तक कर दिया गया है।
लाखों लोगों को होगा फायदा
प्रदेश भर में 300 वर्ग गज या उससे बड़े मकान या जमीन धारकों की संख्या लाखों में है। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस नई सुविधा के बाद अब संभवत है आने वाले 1 से डेढ़ महीने में सभी लोग पटा ले लेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रशासन शहरों के संग अभियान करीब 6 महीने से जारी है। 6 महीने से सरकारी नियम फॉलो करते हुए मकान मालिक या जमीन मालिक अपने अपने मकान और जमीन के पट्टे ले सकते हैं। इसके लिए नियमानुसार 10% से लेकर 25% तक शुल्क लिया जा रहा है।
हाल ही में प्रशासन शहरों के संग का पूरा आंकड़ा जारी किया गया है इसमें प्रदेश भर के करीब 1लाख से भी ज्यादा लोगों ने अपने मकान और जमीन के लिए पट्टे लिए हैं। हालाकि सरकार ने अभी भी उन कॉलोनियों या मकानों में पट्टे नहीं दिए हैं जिनमें किसी ना किसी तरह का विवाद चल रहा है या अभी कोर्ट में विचाराधीन है।