राजस्थान छात्रसंघ चुनावः जो खाना है वो खाओ, जो पीना है पीओ, लेकिन वोट मुझे ही देना, खर्च की लिमिट 5 हजार लेकिन

राजस्थान में छात्रसंघ के चुनाव 2 साल बाद हो रहे है। जिसमें इलेक्शन खर्च की लिमिट 5 हजार रुपए रखी है, लेकिन प्रत्याशी खर्च कर रहे करोड़ों। वोटरों को दिए गए तरह तरह के प्रलोभन। अध्यक्ष पद प्रत्याशियों के यहां रात तक चलता रहा लंगर। प्रदेश में 26 अगस्त शुक्रवार के दिन होगी वोटिंग।

जयपुर. राजस्थान में ही इस बार छात्र संघ चुनाव में प्रत्याशियों को अधिकतम 5 हजार तक के प्रचार में खर्च करने का नियम बनाया गया हो। बावजूद इसके प्रत्याशी चुनाव में पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी राजस्थान यूनिवर्सिटी के प्रत्याशी अपने वोटरों को लुभाने के लिए रोज 1 से 2 लाख रुपए खर्च कर रहे हैं। प्रत्याशियों के कार्यालय में वोटरों को लुभाने के लिए दाल का हलवा खिलाया जा रहा है। तो कोई प्रत्याशी अपने कार्यालय में हुक्के का नशा परोस रहा है। इसमें मुरारी लाल मीणा जोकि प्रदेश सरकार में मंत्री हैं उनकी बेटी के चुनाव कार्यालय में भी रोज करीब 2 से 3 लाख का खर्चा किया जा रहा है। अब जब मंत्री की बेटी के ही कार्यालय में यही हालात हो रहे हैं तो भला इन प्रत्याशियों पर कार्रवाई भी कैसे होगी। 

वोटरों को दे रहे महंगे प्रलोभन
राजधानी जयपुर में इस बार एनएसयूआई से बागी होकर मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोहरवाल बार चुनावी मैदान में निर्दलीय उत्तरी है। निर्दलीय मैदान में आने के साथ ही उसने लगातार अपने वोटरों को लुभाने के लिए नए.नए हथकंडे अपनाए। यहां तक कि वह दूसरे प्रत्याशियों को नाम वापस लेने के लिए उनके पैरों में तक गिर गई। अब उन्हीं के कार्यालय में समर्थ को और प्रत्याशियों को लुभाने के लिए रोज करीब 2 लाख का खाना बनाया जा रहा है। इसमें खाने में रोज अलग अलग तरीके के पकवान बनाए जा रहे हैं। तो वही कुछ कार्यकर्ताओं को हुक्का और शराब का नशा भी करवाया जा रहा है। यही हाल यूनिवर्सिटी के बाकी प्रत्याशियों के कार्यालय में भी है। चुनाव से 1 दिन पहले इनकी हरकतें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। बावजूद इसके अभी तक इन्हें लिंगदोह कमेटी की ओर से कोई नोटिस भी जारी नहीं किया गया है। छात्र संघ चुनाव होने के साथ ही यह मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

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कोरोना के कारण 2 साल बाद हो रहे चुनाव
गौरतलब है कि राजस्थान में इस बार 2 साल बाद छात्र संघ के चुनाव हो रहे हैं। ऐसे नहीं कोई भी प्रत्याशी अपने वोटर को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। ऐसे में कार्यकर्ताओं और इन वोटर्स को लुभाने के लिए नए.नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। यह सब हरकतें लिंगदोह कमेटी और कॉलेज प्रशासन के सामने है। लेकिन इसके बाद भी कोई कार्यवाही होती है नजर नहीं आती है। राजस्थान यूनिवर्सिटी से कई छात्र संघ अध्यक्ष ऐसे भी है। जो वर्तमान में मौजूदा सरकार में मंत्री पदों पर है। जिन्होंने पहले ही बयान दिया था कि अब चुनाव केवल पैसों के जरिए लड़ा जाता है। पहले की तरह नही जब छात्र नेताओं का नाम सुनते ही अधिकारियों और पुलिस प्रशासन के पैर कांपने लगते थे।

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