सार

बीजेपी भी नजर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के असंतुष्ट विधायकों पर है। दोनों पार्टी के करीब 13 विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। हेमंत सोरेन की विधायकी को लेकर राज्यपाल रमेश बैस शुक्रवार को बड़ा फैसला ले सकते हैं।  

रांची. झारखंड की सियासत के लिए शुक्रवार को दिन अहम हो सकता है। राज्यपाल रमेश बैस, हेमंत सोरेन की विधायकी के मामले मे अहम फैसला ले सकते हैं। सूत्रों की मानें तो हेमंत सोरेन की विधायक जना तय माना जा रहा है। राज्य के सियासी हलचल को देखते हुए कांग्रेस, झामुमो के विधायकों को रांची से बाहर जाने को माना किया जा रहा है। बता दें कि हेमंत सोरेन पर माइनिंग लीज लेने का आरोप है इस मामले में राज्यपाल को फैसला लेना है। राज्यपाल ने इसके लिए चुनाव आयोग से राय मांगी थी जिसमें चुनाव आयोग अपनी राय गवर्नर को भेज चुका है। 

हेमंत के पास क्या विकल्प
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास फिलहाल दो विकल्प हैं। अगर राज्यपाल उनकी विधानसभा सदस्यता को रद्द करते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। हालांकि वो इसके बाद भी शपथ लेकर छह महीने तक सीएम बने रहते हैं और उन्हें दोबारा विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना होगा। 

वहीं, अगर राज्यपाल विधायकी रद्द करने के साथ-साथ उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगाते हैं ऐसी स्थिति में हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना होगा और उन्हें अपनी किसी करीबी को सीएम बनाना होगा। हालांकि इन सभी विकल्पों पर फैसला राज्यपाल के निर्णय देने के बाद ही होगा। 

किन किरदारों के कारण हेमंत की कुर्सी पर आया खतरा
हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरा लाने में सबसे अहम रोल भाजपा के तीन नेताओं को जाता है। राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास ने सबसे पहले फरवरी में सीएम के खिलाफ माइनिंग का आरोप लगाते हुए पेपर सार्वजानिक किया। इसके बाद बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में अहम मोड़ निभाया और फिर बीजेपी प्रतिनिधि के साथ राज्यपाल के पास पहुंचे और उन्होंने मामले में कार्रवाई के लिए दस्तावेज सौंपे। गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे लगातार झारखंड सरकार के खिलाफ हमलावर रहे हैं। उन्होंने इस मामले के केन्द्र तक पहुंचाया। इन किरदारों के कारण झारखंड के सीएम की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है।

झारखंड की मौजूदा स्थिति
झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं यहां बहुमत के लिए 42 सीटें हैं। राज्य की सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा है उसके पास 30 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के 18, राजद और माले के 1-1 विधायकों के समर्थन से हेमंत सोरेन राज्य के सीएम हैं। विपक्ष में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है उसके 26 विधायक हैं। इसके अलावा 2 आजसू, 1 एनसीपी और 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। 

भाजपा की नजर असंतुष्ट विधायकों पर
बीजेपी भी नजर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के असंतुष्ट विधायकों पर है। सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टी के करीब 13 विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसे में बीजेपी अगर इन विधायकों को अपने पाले में ला सकती है तो राज्य में बड़ा गेम हो सकता है।

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