उड़ीसा की टाइग्रेस से मिलने के लिए चार सौ किलोमीटर दूर आया शिवाजी द टाइगर, 21 दिन बाद होगी पहली मुलाकात

जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के लिए ग्वालियर से लाया गया चार साल का शिवाजी द टाइगर। 4 सौ किलोमीटर तक लाने के दौरान हर चालीस से पचास किलोमीटर के बीच दिया गया ग्लूकोस और इलेक्ट्रॉल।

Sanjay Chaturvedi | Published : Jul 6, 2022 5:24 AM IST / Updated: Jul 06 2022, 11:54 AM IST

जयपुर (jaipur). राजस्थान की राजधानी के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के लिए एक खुशखबरी है, क्योंकि यहां उड़ीसा से लाई गई रानी नाम की टाइग्रेस से जोड़ा बनाने के लिए चार साल के टाइगर शिवाजी को आखिर जयपुर ले आया गया है। जयपुर लाने के दौरान यात्रा में जो चैलेंज सामने आए उनसे एक बार तो वन विभाग वाले भी घबरा गए। उमस और गर्मी ने टाइगर की हालत पतली कर दी। इस दौरान हर चालीस से पचास किलोमीटर के बीच जू और वन विभाग वालों ने ब्रेक लिए। टाइगर की तिमारदारी की और आखिर उसे जयपुर सुरक्षित पहुंचा ही दिया। पर्यटकों के लिए 21 दिन के बाद उसे खोला जाएगा और उसके बाद उसका कुनबा बढ़ने का इंतजार किया जाएगा। 

चैलेंज था चार सौ किलोमीटर दूर से लाना, लेकिन टाइगर ने कोऑपरेट किया
दरअसल जयपुर के नाहरगढ़ पहाड़ के नजदीक कुछ समय पहले बनाया गया नाहरगढ़ बायोलॉजिक पार्क में रखने के लिए टाइगर को लाया गया है। शिवाजी नाम के बाघ को ग्वालियर से लाने की तैयारी काफी समय से चल रही थी। आखिर मंगलवार शाम वह जयपुर ले आया गया। ग्वालियर के गांधी जूलॉजिकल पार्क से उसे राजधानी लाया गया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टाइगर शिवाजी को जयपुर लाने के दौरान चार सौ किलोमीटर का सफर तय करना पड़ गया। चार सौ किलोमीटर के दौरार हर चालीस से पचास किलोमीटर पर टाइगर को ग्लूकोस और इलेक्ट्रॉल दिया गया। उसे सॉलिड डाइट नहीं दी गई। न ही उसे बोंस दी गई। जब जयपुर लाया गया तो उसके कुछ  घंटे तक उसे कुछ खाने के लिए नहीं दिया गया। अब बुधवार से उसकी प्रॉपर डाइट शुरु की गई है।

21 दिन बाद सबके सामने आएगा टाइगर
 बुधवार 6 जुलाई से 21 दिन तक उसे नाहरगढ़ बायोलॉजिक पार्क में ही अलग से पिंजरे में रखा जाएगा। उसके बाद धीरे धीरे उसकी डाइट बढाई जाएगी। इन 21 दिनों में वह किसी जंगली जानवर के संपर्क में नहीं आएगा। उसके बाद नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में रहने वाली बाघिन रानी के साथ उसे जोड़ा बनाने के लिए छोड़ दिया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले तीन से चार साल के दौरान बायोलॉजिकल पार्क के अधिकतर टाइगर या तो बीमारी से या उम्र दराज होने के कारण मर चुके हैं। इसलिए अब इस टाइगर से उम्मीद है कि यह कुनबा बढ़ाने में मदद करेगा।

j

यह भी पढ़े-  रणथंभौर में 15 सैकंड में टाइगर ने किया पैंथर काम तमाम, डरा देने वाला था वो सीन, आप भी देखिए वो खतरनाक पल

Share this article
click me!