राजस्थान के झुंझुनू जिले के सेना के जवान जो जम्मू कश्मीर में ड्यूटी पर थे। अचानक वे वहां पर गश्त खाकर गिर गए। जहां इलाज के लिए ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। शनिवार के दिन उनका घर पार्थिव देह घर पहुंचा। उन्हें 7 साल के मासूम ने मुखाग्नि दी।
झुंझुनु. राजस्थान के झुंझुनू जिले के रहने वाले जवान नरेश कुमार 2 दिन पहले जम्मू कश्मीर में ड्यूटी के दौरान गश्त करते समय बेहोश हो गए। जिन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया तो डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। आज जवान की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव झुंझुनू के बगड़ पहुंची। यहां गांव में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया। सुबह जब पार्थिव देह जवान के घर पहुंची तो बुरी तरह से कोहराम मच गया। पत्नी अपने पति की पार्थिव देह को देख कर बेहोश हो गई। वही जवान की बेटी अपने पिता की पार्थिव देह से लिपट कर रोने लगी।
हरियाणा के रहने वाले थे, कुछ सालों से रह रहे थे यहां
मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले नरेश सिंह का परिवार पिछले कुछ सालों से झुंझुनू के बगड़ गांव में रह रहा था। नरेश की पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ आगरा में रहती है। दोनों बच्चे पढ़ाई भी यही करते हैं 7 साल का बेटा अभी तीसरी क्लास में है और 11 साल की बेटी मानवी पांचवी क्लास की स्टूडेंट है। जवान की शहादत के बाद 24 घंटे तक तो परिवार को इस बात की खबर भी नहीं दी गई कि उनका बेटा शहीद हो गया है।
देर रात पहुंचा शव, शनिवार को हुआ अंतिम संस्कार
देर रात जवान नरेश की पार्थिव देह झुंझुनू हेड क्वार्टर पर बीडीके हॉस्पिटल पहुंची। यहां से आज सुबह तिरंगा रैली के जरिए हल्की बारिश के बीच सैकड़ों युवाओं के साथ पार्थिव देह जमान के पैतृक गांव बगड़ पहुंची। यहां जवान का अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर राजकीय सम्मान के साथ सैनिक का अंतिम संस्कार हुआ। जवान की पार्थिव देह को लेकर आई तिरंगा यात्रा को झुंझुनूं से बगड़ पहुंचने में करीब 3 घंटे का समय लगा। इस दौरान जगह-जगह तिरंगा रैली का सम्मान भी किया गया। जैसे ही पार्थिव देह घर के बाहर पहुंची तो पत्नी सुदेश बेसुध हो गई और जवान की बेटी मानवी अपने पिता की पार्थिव देह से लिपट कर रोने लगी। 7 साल के बेटे को पता था कि उसके पिता अब नहीं रहे लेकिन इसके बावजूद भी उसने खुद के मन को एकदम मजबूत रखा और नम आंखों के साथ अपने पिता को मुखाग्नि दी।
10 दिन पहले छुट्टी बिताकर गए थे, 2 महीने बाद रिटायरमेंट होना था
शहीद नरेश कुमार शहीद हुए उसके 10 दिन पहले ही वह अपने गांव में कुछ दिन रुक कर गए थे। गांव में उनके माता पिता और परिवार के बाकी लोग रहते हैं। जाते समय वह घर पर कह कर गए थे कि 2 महीने बाद रिटायरमेंट होने वाला है ऐसे में अब मैं आपके साथ ही रहूंगा लेकिन पता नहीं था कि 2 महीने से पहले ही इस तरह जवान घर लौट कर आएगा।
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