फिर भड़का गुर्जर आंदोलन: सरकार नहीं निकाल सकी रास्ता, 60 ट्रेनें डायवर्ट, 220 बसों के पहिये जाम

राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आंदोलन तेज हो गया है। अपने लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग सहित अन्य मुद्दों को लेकर गुर्जरों ने आंदोलन का ऐलान किया था। शनिवार को सरकार ने समझौते की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। अब आंदोलनकारी भरतपुर में रेलवे ट्रैक पर बैठ गए हैं। वहीं, बसों के पहिये भी जाम हो गए हैं। इस बीच सरकार ने कहा है कि वो बातचीत के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बातचीत हर समस्या का हल है।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 2, 2020 5:56 AM IST / Updated: Nov 02 2020, 01:48 PM IST

जयपुर, राजस्थान. गुर्जर आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर राजस्थान सरकार के लिए परेशानी बनकर सामने आया है। मोस्ट बैकवर्ड क्लास(MBC) में बैकलॉग की भर्तियों सहित अन्य मांगों के लिए रविवार से शुरू हुए गुर्जर आंदोलन ने फिर से ट्रेनों और बसों को रोक दिया है। रविवार को भरतपुर के बयाना में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी बैंसला के नेतृत्व में हजारों आंदोलनकारी दिल्ली-मुंबई ट्रेन रूट पर धरने पर बैठ गए।

ट्रेनों का डायवर्ट किया गया
आंदोलनकारियों ने दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर फिश प्लेंटें (Fishplate) उखाड़ी दी हैं। ये प्लेंटें दो पटरियों को जोड़ती हैं। इसके चलते अकेले रविवार को 40 मालगाड़ियों सहित 60 ट्रेनों को रास्ता बदलकर चलाना पड़ा है। कई ट्रेनों को झांसी-बीना-नागदा रूट से चलाया जा रहा है। सोमवार को भी कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं या उनके रूट डायवर्ट करने पड़े। इससे पहले रविवार को रोडवेज के पांच बड़े डिपो दौसा, हिंडौन, करौली, भरतपुर और बयाना में 220 से ज्यादा बसों के पहिये थम गए।

सरकार से बातचीत नहीं जमी..
आंदोलनकारियों से बातचीत करने खेल मंत्री अशोक चांदना को रविवार को बैंसला से बात के लिए भेजा गया था। लेकिन बात नहीं बनी। मंत्री ने कहा कि कर्नल बैंसला ने बात करने से मना कर दिया। उन्होंने अपने बेटे विजय से बात करने को कहा। उनसे मोबाइल पर कुछ मिनट बात हुई। बता दें कि आंदोलनकारी भर्तियों में पूरा 5 प्रतिशत आरक्षण देने,आरक्षण आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजन को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने, आरक्षण विधेयक को नवीं अनुसूची में डालने, MBC कोटे से भर्ती 1252 कर्मचारियों को रेगुलर पे-स्केल देने और देवनारायण योजना में विकास योजनाओं के लिए बजट दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

 बता दें कि शनिवार को भी आंदोलनकारियों के एक गुट और सरकार के बीच बातचीत हुई थी। इसमें दोनों पक्षों में 14 बिंदुओं पर सहमति बनी थी। इसमें कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला शामिल नहीं हुए थे। ऐसा लग रहा था कि इसके बाद आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि 2007 में इस आंदोलन के हिंसक होने पर 26 लोग, जबकि 2008 में 37 लोगों की मौत हो गई थी। 

विधानसभा में हंगामे के आसार...
सोमवार को होने जा रहे विधानसभा के विशेष सत्र में केंद्रीय कृषि कानूनों में संशोधन के अलावा गुर्जर आंदोलन की गूंज सुनाई देगी।

यहां सबसे ज्यादा खतरा
राजस्थान में करौली, भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, धौलपुर जिलों के अलावा भीलवाड़ा का आसींद और सीकर का नीम का थाना तथा झुंझुनूं के खेतड़ी इलाके गुर्जर बाहुल्य हैं। यहां आंदोलनकारी दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक और सड़क जाम कर रहे हैं। रविवार को गुर्जर आंदोलनकारियों के भरतपुर के पीलूपुरा में पड़ाव डालने की सूचना के बाद प्रशासन सतर्क हो गया था। गुर्जर बाहुल्य 4 जिलों दौसा, करौली, सवाई माधोपुर और भरतपुर में अगले आदेश तक इंटरनेट बंद कर दिया गया है। किसी भी स्थिति से निपटने अलग-अलग फोर्स की 19 कंपनियां अलग-अलग जिलों में भेजी गई हैं। बता दें कि बैंसला करौली जिले के हिंडौन सिटी स्थित अपने निवास पर शुक्रवार को मीडिया के जरिये सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो 1 नवंबर से प्रदेशभर में चक्काजाम होगा। 

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