20 साल संघर्ष किया-13 दिन बाद ही उड़ा दिया, उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ब्रिज पर उठे सवालों पर पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

Published : Nov 16, 2022, 12:27 PM ISTUpdated : Nov 16, 2022, 12:30 PM IST
20 साल संघर्ष किया-13 दिन बाद ही उड़ा दिया, उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ब्रिज पर उठे सवालों पर पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

सार

उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर बने पुल पर ब्लास्ट होने के बाद से पूरे देशभर में सुरक्षा को लेकर हड़कंप मच गया है। क्योंकि जिस पुल का की सौगात 13 दिन पहले पीएम मोदी ने दी थी, उसे उड़ाने की साजिश रची गई। अब  एनआईए, आईबी, एटीएस राजस्थान, लोकल पुलिस और रेलवे की टीम जुटी हुई है....लेकिन अभी तक जवाब नहीं मिला है

उदयपुर (राजस्थान). उदयपुर यानि झीलों की नगरी.....। शांत, सुंदर और राजस्थान आने वाले लगभग हर ट्यूरिस्ट का डेस्टीनेशन। यहां से कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित है उदयपुर-अहमदाबाद रेल मार्ग...। इसका एक हिस्सा केवड़ा की नाल पुलिया से होकर गुजरता है। इस रेलवे लाइन के लिए पिछले बीस साल से लोकल लोक संघर्ष कर रहे थे और अब जाकर इसका निर्माण पूरा किया जा सका। दो सप्ताह पहले ही पीएम मोदी ने उकसा उद्घाटन किया और पिछले शनिवार की देर रात ही उसे धमाके के साथ उड़ा दिया गया.....। इस धमाके के बाद 24 घंटे में पुलिस को दुरुस्त कर दिया गया और इस पर चलने वाली ट्रेनों को धीमी गति से गुजारना शुरु कर दिया गया...। यहां तक तो सब सही है, लेकिन सवाल पैदा होता है कि ये धमाका किसने और क्यों किया.....? इस सवाल का जवाब तलाश करने के लिए एनआईए, आईबी, एटीएस राजस्थान, लोकल पुलिस और रेलवे की टीम जुटी हुई है.... लेकिन अभी तक जवाब नहीं मिला है.....। 

अगर ये एंगल निकला रहा है तो राजस्थान में छत्तीसगढ़-झारखंड से हालात
इस पूरी जांच के दौरान एक शब्द बार बार सामने आ रहा है और वह खतरनाक शब्द है नक्सली....। राजस्थान में शायद ही आपने ये सुना होगा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में ये आम है। लेकिन इस धमाके के साथ यह शब्द जुड़ना आतंकी कनेक्शन से भी ज्यादा खतरनाक है। दरअसल राजस्थान में आईबी की एक रिपोर्ट पिछले दिनों सरकार से साझा की गई थी कि डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर में ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में कुछ लोग सक्रिय है। वे ग्रामीणों को रुपयों का लालच देकर नक्सल जैसी गतिविधियों में लिप्त करते हैं।

 इस बवाल के बाद हालात बेकाबू रहे
 राजस्थान के डूंगरपुर में सितंबर 2020 में शिक्षक भर्ती को लेकर बड़ा बवाल हुआ था। ग्रामीण इलाके में हुए इस बवाल के आगे पुलिस ने घुटने टेक दिए थे। करोड़ों के वाहन जलाए गए और सम्पत्ति जला दी गई। बाद में समझौतों के बाद ये बवाल खत्म हुआ। 24 केस दर्ज हुए, दो लोग पुलिस की गोली से मरे, सात अस्पताल पहुंचे। इस बवाल के बाद हालात बेकाबू रहे। इस बवाल को हवा देने वाले नक्सल क्षेत्र के लोग बताए गए थे। हांलाकि इससे पहल भी इस तरह की रिपोर्ट खुफिया तरीकों से सरकार तक पहुंच चुकी है लेकिन सरकार ने इसे कभी साझा नहीं किया। अब ऐसे ही हालात उदयपुर में बनते नजर आ रहे हैं। 

जिन लोगों ने सबसे पहले ब्लास्ट सुना और देखा उनको पुलिस ने दी हिदायत
चूंकि मामला बड़ा है इसलिए देश प्रदेश की पांच एजेंसियां इसे जांच रही हैं। हालात ये है कि कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। आज डीजीपी उमेश मिश्रा वहां पहुंच रहे हैं। झावर माइंस थाने में जो एफआईआर दर्ज की गई है उसमें भी गंभीर जानकारियां दर्ज की गई हैं। चूंकि उदयपुर में कुछ महीनों पहले ही तालिबानी तरीके से कन्हैयालाल टेलर की हत्या के बाद आतंकी कनेक्शन जैसा इनपुट मिला तो इस घटना में भी वही तलाशा जा रहा हैं। सबूत के तौर पर जो विस्फोटक स्क्रेप मिला है वह बेहद खतरनाक और आतंकी धमाकों या बडे  भवनों को उड़ाने के काम आने वाला है। मामला बेहद संवेदनशील है। सूचना तो यहां तक है कि जिन लोगों ने सबसे पहले ब्लास्ट सुना था और मौके पर पहुंचे थे लोकल पुलिस ने उनको मीडिया के सामने किसी भी तरह का बयान देने से मना कर दिया है।

यह भी पढ़ें-उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर बड़ा धमाका: पटरी के उड़े परखच्चे, 13 दिन पहले PM मोदी ने किया था उद्घाटन

PREV

राजस्थान की राजनीति, बजट निर्णयों, पर्यटन, शिक्षा-रोजगार और मौसम से जुड़ी सबसे जरूरी खबरें पढ़ें। जयपुर से लेकर जोधपुर और उदयपुर तक की ज़मीनी रिपोर्ट्स और ताज़ा अपडेट्स पाने के लिए Rajasthan News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — तेज़ और विश्वसनीय राज्य समाचार सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

राजस्थान बना देश का ऐसा पहला राज्य, सड़क पर शव रख विरोध किया तो 5 साल की जेल
एक ऐसी भी पत्नी, पति का कत्ल कराने के बाद फ्लाइट से शोक सभा में पहुंची