पद्मश्री रमजान खान बोले, गौसेवा की वजह से सरकार ने मुझे दिया यह सम्मान

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत निकाय में नियुक्ति को लेकर मचे विवाद के केंद्र में रहे प्रोफेसर फिरोज खान के पिता भजन गायक रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर ने पद्मश्री सम्मान को गौसेवा का फ़ल बताया है

Asianet News Hindi | Published : Jan 29, 2020 10:11 AM IST

नई दिल्ली: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत निकाय में नियुक्ति को लेकर मचे विवाद के केंद्र में रहे प्रोफेसर फिरोज खान के पिता भजन गायक रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर ने पद्मश्री सम्मान को गौसेवा का फ़ल बताया है।

कृष्ण और गाय पर भक्ति गीत गाने वाले राजस्थान के मशहूर भजन गायक रमजान खान ने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ सरकार ने मुझे जो सम्मान दिया , यह गौमाता का, गौभक्तों का और देशवासियों का सम्मान है । यह सम्मान मुझे गौसेवा के कारण मिला । हर व्यक्ति को गौसेवा करनी चाहिये ।’’

Latest Videos

जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है

मुन्ना मास्टर के नाम से लोकप्रिय खान ने कहा ,‘‘यह जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है । मेरे लिये , परिवार के लिये , दोस्तों के लिये । हमें कोई आभास ही नहीं था और ना इसके लिये कोई प्रयास किया था । ऐसा कभी विचार भी नहीं आया कि ऐसा कोई सम्मान मिलना चाहिये । ज्यादा से ज्यादा तहसील स्तर का सम्मान मिल सकता था ।’’

उन्होंने फिरोज के मामले को अतीत की बात बताते हुए कहा कि शुरूआत में वह दुखी थे लेकिन उनकी आस्था कभी कम नहीं हुई ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मैं फिरोज के मामले में शुरू में आहत हो गया था और कह दिया था कि इसे मैंने संस्कृत क्यों पढ़ाई । वह मामला एक आघात की तरह था और मैंने कुंठित होकर कह दिया था । लेकिन बाद में मुझे पश्चाताप हुआ कि संस्कृत के लिये मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिये था ।’’

संस्कृत और मंदिर से जुड़ा हूं

खान ने कहा ,‘‘ मैं संस्कृत और मंदिर से जुड़ा हूं । मैंने पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को आत्मसात किया है । मैने कालिदास , बाणभट्ट के ग्रंथ पढे़ तो बड़ी खुशी हुई । यह अद्भुत और विलक्षण ज्ञान था । मैने बच्चों का भी वहीं दाखिला कराया । उन्होंने भी संस्कृत पढ़ी ।’’

यह पूछने पर कि इस सम्मान से क्या अब उन जख्मों पर मरहम लगेगा, खान ने कहा ,‘‘ मुझे उस समय भी इतना बड़ा विषाद नहीं था । यह सब चलता रहता है । हम आस्थावान आदमी हैं । हमेशा ईश्वर और गौमाता पर भरोसा किया और समस्या का स्वत: ही समाधान हो गया ।’’

यह हमारा पारंपरिक काम 

भजन गायकी की शुरूआत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘यह हमारा पारंपरिक काम है । मेरे पिता बहुत अच्छे संगीतकार और साहित्य के ज्ञाता थे। वह तुलसी की विनयपत्रिका और सूरदास के सूर सागर के भजन गाते थे । वह संगीत के विशारद थे और मैं उनके साथ बचपन से गाता था। मुझे भी सारे भजन याद हो गए।’’

खान ने कहा कि मंदिर से जुड़े रहने के कारण गौसेवा के संस्कार स्वत: ही मिले। यह पूछने पर कि इस राह में कोई मजहबी दिक्कत नहीं आई, उन्होंने ना में जवाब दिया। उन्होंने कहा ,‘‘ मेरे पिता भी तो भजन गाते थे । परेशानी तो तब होती जब मेरे पिता ऐसे नहीं होते और मुझे रोकते । समाज में भी ऐसा कुछ नहीं है । कितने ही मुसलमान कलाकारों ने भजन गाये हैं , मैं कोई अकेला नहीं हूं ।’’

अपने काम में सतत लगे रहेंगे

देश के मौजूदा माहौल के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ऐसा कोई माध्यम होना चाहिये कि हर धर्म का व्यक्ति एक जगह आये और विचारों का आदान प्रदान करे। आपसी सद्भाव स्थापित हो ताकि गंगा जमुनी संस्कृति सिर्फ बोलने भर की नहीं रहे ।’’

सम्मान से जीवन में आये बदलाव के बारे में पूछने पर खान ने कहा कि वह अपने काम में सतत लगे रहेंगे। उन्होंने कहा ,‘‘आगे भी गौसेवा करते रहना चाहता हूं। निरंतर जागरूकता फैलाता रहूंगा। गोहत्या पर रोक के लिये प्रयास जारी रहेंगे और लोगों को प्रेरित करते रहेंगे ।’

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

Share this article
click me!

Latest Videos

उर्फी जावेद का रिस्की वीडियो वायरल #Shorts #urfijaved
Bigg Boss LIVE Updates 🔴 गरमागरम बहस, फ़्लर्टी एक्सचेंज और ड्रामा सामने आया |
LIVE: राष्ट्रपति की अल्जीरिया, मॉरिटानिया और मलावी की राजकीय यात्रा पर विशेष ब्रीफिंग
LIVE: जयराम रमेश और पवन खेड़ा द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
मोदी कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, जानें कब तक मिलता रहेगा मुफ्त राशन