जिंदा इंसान का पोस्टमार्टम कर देती थी ये खतरनाक गैंग... इनमें डॉक्टर, वकील और पुलिसवाले, पढ़ें पूरा मामला

राजस्थान (Rajasthan) की दौसा पुलिस (Dausa Police) ने एक हैरान कर देने वाले मामले का खुलासा किया है। ये गिरोह फर्जी पोस्टमार्टम कर एक्सीडेंट क्लेम (Accident Claim) का लाभ उठाता है। पुलिस (Police) ने इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह में डॉक्टर, वकील और पुलिसकर्मी शामिल हैं।

जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) के दौसा (Dausa) में एक खतरनाक गैंग के 15 सदस्य पकड़े गए हैं। इनमें डॉक्टर  (Doctor), वकील (Advocate), कंपनी सर्वेयर (Company Surveyor) और पुलिसवाले (Policeman) शामिल हैं। ये गिरोह पोस्टमार्टम के नाम पर खेल करते थे। सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा है लेकिन ये सच है। यहां ऐसे कई केस सामने आए हैं, जहां किसी व्यक्ति की मौत हुई ही नहीं है और बिना मौत के इस गिरोह के सदस्यों ने फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर व्यक्ति के नाम से 10 लाख रुपए का क्लेम उठा लिया। पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया है।

जिंदा को मरा बताया, फिर 10 लाख का क्लेम उठा लिया
दरअसल, साल 2016 में दिल्ली के रहने वाले अरुण नाम के व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत का केस थाने में दर्ज कराया गया था। इस मामले में जांच अधिकारी रमेश चंद और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सतीश गुप्ता, एडवोकेट चतुर्भुज मीणा की मिलीभगत सामने आई। पता चला कि अरुण नाम के व्यक्ति की मौत हुई ही नहीं है, वो अभी जिंदा है। इसके बावजूद उसका एक्सीडेंट दिखाया गया और फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई। फिर इसी के आधार पर वकील और बीमा कंपनी के सर्वेयर के जरिए 10 लाख रुपए का क्लेम भी ले लिया।

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तीन फर्जी मामले और सामने आए
पुलिस ने 2019 में ही अरुण के फर्जी पोस्टमार्टम का खुलासा कर दिया था। इस मामले में डॉक्टर, पुलिसकर्मी, वकील पकड़े गए थे। हालांकि, पुलिस ने मामले में जांच बंद नहीं की। इसके बाद इसी तरह के कई और केस सामने आए, जहां सिर्फ कागजों में सड़क दुर्घटना दिखाई गई और व्यक्ति को मरा बताकर उसका फर्जी पोस्टमार्टम भी किया गया। इन मामलों की सीआईडी सीबी और जयपुर रेंज आईजी ऑफिस ने जांच की। इसके बाद पुलिस ने कुल 3 मामलों का खुलासा किया है।

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15 आरोपियों में 8 फरार चल रहे हैं...
पुलिस ने इन मामलों में आरोपी डॉक्टर सतीश गुप्ता, एएसआई रमेश चंद, एडवोकेट चतुर्भुज मीणा समेत कुल 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन तीनों मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी 2019 में भी इसी तरह के एक केस में हो चुकी है। हालांकि, जमानत पर बाहर आए पुलिसकर्मी ने नौकरी से वीआरएस भी ले लिया है। वहीं, डॉक्टर को बहाल कर दिया गया था, जिसे ऑन ड्यूटी पुलिस ने अब अन्य केसों में गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि 15 लोगों की गिरफ्तारी के बाद अभी भी इस मामले में करीब 8 आरोपी फरार चल रहे हैं। पुलिस अब बाकी लोगों को पकड़ने में लगी हुई है।

2016 में बेजवाडी निवासी राम कुमार मीणा का फर्जी एक्सीडेंट और फर्जी पोस्टमार्टम दिखाया गया था। जबकि रामकुमार की मौत 3 महीने पहले ही हार्टअटैक से हो गई थी। इसी तरह 2016 में भांवता गांव निवासी जनसीराम और नाथूलाल की मौत सड़क दुर्घटना में बताकर फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की गई थी। जबकि जनसीराम की हार्टअटैक से और नाथूलाल की मृत्यु कैंसर से हुई थी। अनिल बेनीवाल, एसपी, दौसा 

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