ऐसे खत्म होगा कोरोना: 1000 फीट पहाड़ चढ़कर घने जंगल से वैक्सीन लगाने पहंची टीम, देखने लायक था जज्बा

Published : May 26, 2021, 08:55 PM IST
ऐसे खत्म होगा कोरोना: 1000 फीट पहाड़ चढ़कर घने जंगल से वैक्सीन लगाने पहंची टीम, देखने लायक था जज्बा

सार

राजस्थान के अलवर जिले में क्रास्का गांव टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट सरिस्का के कोर एरिया में सबसे ऊंची पहाड़ी पर बसा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की एक टीम  बुधवार को 1000 फीट से अधिक ऊंचाई का पहाड़ चढ़कर और घने जंगल को पार करते हुए  एक गांव में वैक्सीनेशन के लिए पहुंची थी।

जयपुर (राजस्थान). कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म करने के लिए पूरे देश में तेजी से वैक्सीनेशन किया जा रहा है। क्योंकि वैक्सीन ही इस महामारी से बचाव की सबसे बड़ी उम्मीद है। इसी बीच राजस्थान के अलवर जिले से एक दिल खुश कर देने वाली तस्वीर देखने को मिली। जहां स्वास्थ्य विभाग की एक टीम  बुधवार को 1000 फीट से अधिक ऊंचाई का पहाड़ चढ़कर और घने जंगल को पार करते हुए  एक गांव में वैक्सीनेशन के लिए पहुंची थी। लोगों की जिंदगी बचाने के लिए मेडिकल टीम का यह जज्बा देखने लायक था।

पहले की आनाकानी फिर सरपंच को देखते ही हुए राजी
दरअसल, अलवर जिले में क्रास्का गांव टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट सरिस्का के कोर एरिया में सबसे ऊंची पहाड़ी पर बसा हुआ है। जो कि माधोगढ़ ग्राम पंचायत में आता है। जिला स्वास्थ्य विभाग ने यहां अपनी एक मेडिकल टीम में 4 सदस्य ग्रामीणों का टीकाकरण के लिए भेजी थी। टीम किसी तरह थक हार के गांव में पहुंची तो पहले लोग वैक्सीन लगवाने के लिए मना करते रहे। फिर जब गांव के सरपंच ने वैक्सीन लगवाई तो सब टीका लगवाने के लिए तैयार हो गए।

इस गांव में एक भी केस कोरोना का नहीं
ग्रामीणों ने मेडिकल टीम से कहा जब हमारे सरपंच  पेमाराम साहब खुद वैक्सीन के लिए 1000 फीट से अधिक ऊंचाई का पहाड़ चढ़कर आए हैं तो हम भी अब यह वैक्सीन लगवाएंगे। हालांकि गांव में एक भी कोरोना का मामला सामने नहीं आया है। जिसके चलते हमे संक्रमण फैलने का डर नहीं लगता है। इसलिए अभी तक यहां किसी ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी।

बीमार होने पर यहां के लोग 1000 फीट नीचे उतरते हैं
बता दें कि सरिस्का के जंगल के बीच से क्रास्का गांव का रास्ता है। यह गांव पंचायत माधोगढ़ से करीब 20 किलोमीटर दूर है। यहां कोई मेडिकल सुविधा नहीं है। गांव का कोई भी युवक बीमार होता है तो उसे पहाड़ के इसी रास्ते नीचे आना पड़ता है। इस गांव के लोग पुशपालन पर निभर्र हैं। वह गाय और भैंस का दूध उत्पादन कर अपना पेट पालते हैं। इस गांव में करीब 150 लोग रहते हैं। 

इसलिए गांव में वैक्सीनेशन जरुरी था
हेल्थ विभाग का कहना है कि जंगल में बसे गांव को अगर सौ फीसदी वैक्सीन लग जाएगी तो जंगल में वन्यजीवों को भी संक्रमण से दूर रखा जा सकेगा। क्योंकि खबरें आने लगी हैं कि अब जानवरों में भी संक्रमण के मामले सामने आने लगे हैं। गांव में वैक्सीनेशन इसलिए भी जरूरी था क्योंकि इस गांव के आसपास टाइगर और अन्य जीव का मूवमेंट रहता है। अगर गलती से कोई संक्रमित हो जाता तो जानवरों में भी संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता था।
 

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