अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे यह फाइनल हो गया है। वहीं गहलोत गुट के विधायक सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए पूरी फील्डिंग सजा रहे हैं। अभी तक कि सचिन पायलट ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपना एक भी बयान नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि वह आज देर रात विधायकों के साथ दिल्ली रवाना होंगे।
जयपुर, राजस्थान में रविवार को शुरू हुए सियासी तमाशे को करीब 24 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है। लेकिन इसके बाद भी सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की अंदरखाने की लड़ाई अभी तक सुलझ नहीं पाई है। हालांकि प्रदेश के मुखिया अब दिल्ली से आए ऑब्जर्वर्स के पास बातचीत करने के लिए गए हैं। लेकिन अपने विधायकों के विरोध के चलते इस बातचीत का कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है।
पूरे घटनाक्रम पर चुप हैं पायलट...आखिर क्या है चुप्पी की वजह
24 घंटे बीत जाने के बाद एक बात तो सामने आई है कि अभी तक कि सचिन पायलट ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपना एक भी बयान नहीं दिया है। और ना ही वह जनता के सामने आए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब सचिन पायलट और उनके बगावत के साथी एक बार फिर सरकार को आड़े हाथ लेने की तैयारी कर चुके हैं। माना जा रहा है कि सचिन पायलट के साथ 15 विधायक हैं जो सीधे अब आलाकमान से बात करने की तैयारी में है।
प्रदेश की जनता पायलट के पक्ष में...लेकिन गहलोत के विधायक कर रहे विरोध
गहलोत गुट के 90 से ज्यादा विधायक भले ही सचिन पायलट को सीएम बनाने का विरोध कर रहे हो। लेकिन प्रदेश की जनता भी अब सचिन पायलट को ही सीएम के रूप में देखना चाहती है। राजस्थान में बीते दिनों गहलोत गुट के नेताओं का विरोध इस बात का उदाहरण है। वही सचिन पायलट को सीएम बनाने के लिए अब प्रदेश की जनता ने दुआएं करना भी शुरू कर दिया है। टोंक जिले में पायलट समर्थक अकबर खान हवन करवा रहे है। तो वहीं मस्जिदों में दुआओं का दौर शुरू हो चुका है। राजस्थान की करीब 70% जनता इस बात से खुश है कि मुख्यमंत्री सचिन पायलट को ही बनाया जाए।
आज देर रात तक विधायकों के साथ दिल्ली कूच करेंगे पायलट
राजस्थान में रविवार रात हुए सियासी तमाशे के बीच पार्टी आलाकमान राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दिल्ली बुलाया था। लेकिन अब सचिन पायलट के साथ उनके समर्थन के 15 से भी ज्यादा विधायक भी दिल्ली जाने प्लान कर चुके हैं। इन विधायकों का कहना है कि 4 साल से के शासन के बाद हमारी बारी आई है तो हम इससे बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेंगे। वहीं राजनीतिक सलाहकारों की माने तो सीएम अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भले ही सचिन पायलट को सीएम बना दिया जाए लेकिन उनकी चाबी सीएम अशोक गहलोत के हाथ में ही रहने वाली है क्योंकि पार्टी आलाकमान जो निर्धारित करेगा वह ही सचिन पायलट को करना पड़ेगा प्रोग्राम ऐसे में भले ही सचिन पायलट सीएम बने लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद सीएम अशोक गहलोत की अपनी मनमानी करेंगे।
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