मामला परमदा गांव में नदी के किनारे का है। दो लोगों ने लकड़ी के सहारे दबाया, एक कुल्हाड़ी से किए कई वार
उदयपुर : राजस्थान के उदयपुर में अजगर के साथ क्रूरता का एक मामला सामने आया है। परमदा गांव में ग्रामीणों ने कुल्हाड़ी से काट-काटकर अजगर को मौत के घाट उतार दिया। इस दौरान वहां मौजूद ग्रामीण इस बर्बरता को तमाशबीन बन देखते रहे।
पहले प्लान बनाया, फिर अजगर को मारा
घटना रविवार शाम का है। नदी किनारे कई दिनों से अजगर को देख ग्रामीणों ने उसको मारने की योजना बनाई। शाम को बड़ी संख्या में ग्रामीण नदी किनारे पहुंचे और लकड़ी के सहारे अजगर को पानी से बाहर निकाला। लकड़ी के सहारे वे अजगर को नदी से थोड़ी दूर ले गए। पहले दो ग्रामीणों ने लकड़ी से अजगर को दबाया। इसके बाद एक ने उस पर कुल्हाडी से कई वार किए।
अजगर छटपटाता रहा, लेकिन नहीं पसीजा दिल
अजगर पर वार होता देख वहां मौजूद महिलाएं चिखती-चिल्लाती रहीं। अजगर छटपटा रहा था और बाकी ग्रामीण मूकदर्शक बने हुए थे। उसकी छटपटाहट देख वहां मौजूद किसी का भी दिल नहीं पिघला। थोड़ी देर में उसकी मौत हो गई। कहा जा रहा है कि अजगर ने एक सियार को अपना शिकार बनाया था। उसके पेट को फूला हुआ देख ग्रामीण गुस्से में आ गए और उसे ठिकाने लगाने की सोची।
इसे भी पढ़ें-क्रूरता: एक बीड़ी के लिए बीच सड़क रेत डाला महिला का गला, CCTV में कैद हुई खौफनाक वारदात
वन विभाग करेगा कार्रवाई?
जानकारी मिल रही है कि करीब 15 दिन से इसी इलाके में ग्रामीण तीन अजगरों ने सियार का शिकार किया था। तीन दिन पहले एक अजगर का रेस्क्यू भी किया गया था। वन विभाग से संपर्क करने की कोशिश भी की गई थी लेकिन जब बात नहीं बनी तो ग्रामीणों ने अजगर को मारने की योजना बनाई। वहीं अब मामला सामने आने के बाद वन विभाग जांच के बाद कार्रवाई की बात कह रहा है।
वन्य जीव संरक्षण कानून क्या है ?
जानवरों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसका मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था। इसमें साल 2003 में संशोधन किया गया जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा दिया गया। इसमें दंड और जुर्माने का कठोर प्रावधान है।
इसे भी पढ़ें-ये है खूंखार कातिल भाभी: जिसने अपनी ननद को मार डाला, साजिश ऐसी रची कि सुलझाने में पुलिस के पसीने छूटे