राजस्थान में परीक्षा यानी इंटरनेट बंद, क्या सरकार के पास नकल रोकने दूसरा विकल्प नहीं, उठ रहे ऐसे सवाल

राज्य में 10 साल में करीब 78 बार इंटरनेट बंद किया जा चुका है। एक बार भी आतंकी धमकी या सुरक्षा को लेकर नहीं बल्कि हर बार परीक्षा या किसी धरने-प्रदर्शन को लेकर ऐसा किया गया। सीकर, जयपुर, भीलवाड़ा, भरतपुर और उदयपुर में सबसे ज्यादा नेटबंदी की गई है। 

जयपुर : राजस्थान (Rajsthan) में नेटबंदी के बीच एक और एग्जाम करा लिया गया है।। लोक सेवा आयोग की RAS-2021 प्रारंभिक परीक्षा बुधवार को संपन्न हुई। इस परीक्षा के दौरान सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक इंटरनेट सेवाएं सस्‍पेंडेड रहीं। जिसके बाद सवाल खड़े होने लगे की क्या गहलोत सरकार के पास नकल रोकने के लिए इंटरनेट बंद करने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है। क्योंकि ऐसे तो बार-बार नेट बंद कर देने से ही राज्य के करोड़ों इंटरनेट उपभोक्ताओं को काफी परेशानियां हो रही हैं। जानिए क्या है पूरा मामला, आखिर क्यों परीक्षाओं के दौरान इंटरनेट सेवाएं बंद कर देती है सरकार और क्या है इसके पीछे का कारण?

क्यों की जाती है इंटरनेट बंदी
दरअसल राज्य में प्रतियोगी परीक्षा करवाना किसी चुनौती से कम नहीं है। भर्ती परीक्षा का पेपर लीक न हो, अफवाहों का बाजार ठंडा रहे और नकल के मास्टर माइंड्स पर नकेल कसी रहे, इसके लिए पुलिस-प्रशासन इंटरनेट सेवा बंद रखता है। सरकारी विभागों की यह पहल नकल सौ फीसदी रोके इसके दावे तो नहीं किए जा सकते, क्योंकि फाइबर से इंटरनेट की रफ्तार चालू रहती है, लेकिन कारोबारी रफ्तार, ऑनलाइन क्लासेस समेत कई गतिविधियां इससे थम जाती हैं।

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राजस्थान से बेहतर अन्य राज्य
राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में भी हर साल किसी न किसी विभाग की सरकारी भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। लेकिन वहां हर बार नेट बंद नहीं किया जाता। बात उत्तर-प्रदेश (uttar pradesh), बिहार (bihar), हरियाणा (haryana) और महाराष्ट्र (maharastra) जैसे बड़े राज्यों की करें तो वहां नकल रोकने के लिए पुलिस और अन्य एजेंसियां पहले ही व्यवस्थाएं दुरुस्त रखती हैं। लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है। सरकार किसी और विकल्प पर सोचने की बजाय इंटरनेट बंद करना सबसे आसान समझती है।

किस राज्य में कब-कब इंटरनेट बंद हुआ
इंटरनेट बंद करने के मामले में जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) देश का पहला राज्य है। 10 साल में वहां सबसे ज्यादा 315 बार इंटरनेट बंदी हुई। लेकिन वहां की स्थिति राजस्थान से उलट हैं। वहां हर बार आतंकी गतिविधियों को देखते हुए और सुरक्षा के लिहाज ये फैसला लिया गया। यूपी में 10 साल के दौरान सिर्फ 29 बार , हरियाणा में 17, पश्चिम बंगाल में 13, गुजरात में 10, बिहार और महाराष्ट्र में 11, मध्यप्रदेश और मेघालय में 8, अरुणाचल और मणिपुर में 6-6 बार नेट बंद किया गया है। ओडिशा, पंजाब, दिल्ली, तेलांगाना, असम, नागालैंड, चंडीगढ़, कनार्टक, तमिलनाडू, झारखंड में एक से तीन दिन इंटरनेट बंद रखा गया है।

राजस्थान में कितनी बार इंटरनेट बंद
राजस्थान की बात करें तो बीते 10 साल में करीब 78 बार इंटरनेट बंद किया जा चुका है। एक बार भी आतंकी धमकी या सुरक्षा को लेकर नहीं बल्कि हर बार परीक्षा या किसी धरने-प्रदर्शन को लेकर ऐसा किया गया। सीकर, जयपुर, भीलवाड़ा, भरतपुर और उदयपुर में सबसे ज्यादा नेटबंदी की गई है। हालांकि इन सालों में यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकारें रहीं। 

हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान इंटरनेट सेवाओं को बंद रखने को लेकर सियासत तो गरमाई ही हुई है लेकिन अब यह मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज्य सरकार और गृह विभाग से मामले जवाब तलब किया है।

23 नवंबर को अगली सुनवाई
हाईकोर्ट की फटकार के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता करण सिंह राजपूत ने जवाब देने के लिए समय देने की गुहार की। इसको स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट खंडपीठ ने 23 नवंबर तक का समय दिया। याचिकाकर्ता महिपाल सिंह की ओर से अधिवक्ता नितिन गोखलानी और अधिवक्ता प्रवीण व्यास को बताया गया कि ऐसी ही जनहित याचिका साल 2018 में दायर की गई थी, जिस पर सरकार ने खंडपीठ को यह आश्वासन दिया था कि भविष्य में कभी भी इंटरनेट परीक्षाओं के लिए सस्पेंड नहीं किया जाएगा।

2017 के आदेश का जिक्र
याचिकर्ता ने बताया कि इस वक्त अधिकांश स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। इंटरनेट सस्पेंड होने के कारण कई छात्रों की क्लास मिस हो जाती है। उन्होंने बताया कि साल 2017 के आदेश के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता की सुरक्षा के मामलों में इंटरनेट सस्पेंड किया जा सकता है। प्रतियोगी परीक्षाएं इन दोनों मामलों से नहीं जुड़ी है।

इंटरनेट बंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद ऐहतियात के तौर पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था। जिस पर सुनवाई करते हुए 10 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आज के दौर इंटरनेट लोगों के मौलिक अधिकारों में शामिल हो गया है। ऐसे में बेवजह इंटरनेट बंद नहीं किया जा सकता है। नेट बंद होने के कारण करीब 30 तरह की सेवाएं बाधित होती हैं। इनमे डेबिट, क्रेडिट कार्ड भुगतान सिस्टम, ई वॉलेट ट्रांजेक्शन, मूवी टिकट बुकिंग, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन टैक्सी सर्विस, ऑनलाइन होम डिलवरी, ऑनलाइन फूड ऑर्डर, पानी, बिजली के बिल जमा, ऑनलाइन शॉपिंग, होटल बुकिंग, फ्लाइट बुकिंग, रेल यात्रा बुकिंग, कॉर्ड स्वाइप मशीन, ऑनलाइन मॉन्यूमेंट बुकिंग, मनी ट्रांसफर समेत अन्य कई सेवाएं शामिल हैं।

राजस्थान में 3 साल में कोई परीक्षा बेदाग नहीं
राजस्थान में जैसे ही किसी परीक्षा का ऐलान होता है तो जहां छात्रों की टेंशन बढ़ जाती है तो वहीं प्रशासन के माथे पर भी बल पड़ जाता है। नकल माफियाओं से निपटने के लिए सरकार की तमाम तैयारियां धरी की धरी रह जाती हैं। पिछले 3 साल की बात करें तो राज्य में 15 बड़ी भर्ती परीक्षाएं हुई हैं। इसमें से कोई भी परीक्षा ऐसी नहीं रही, जिस पर सवाल न उठे हों। पेपर लीक, परीक्षा में फर्जीवाड़ा और विवाद की वजह से छात्र परेशान हैं। वहीं कई भर्तियों में तो फर्जी डिग्री के मामले सामने आने के बाद चयनित अभ्यर्थियों को चयन सूची से बाहर करना पड़ा है। 

असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती –2021
बिना सेट के आयोजन के ही भर्ती का जोरदार विरोध
राजनीतिक विज्ञान के पेपर पर उठे सवाल
300 में से 200 सवाल एक ही गाइड से आने के आरोप

SI भर्ती-2021
RPSC की ओर से 859 पदों के लिए SI भर्ती हुई
परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगे
अभ्यर्थी CBI जांच की मांग कर रहे हैं

रीट भर्ती-2021
राजस्थान बोर्ड ने रीट भर्ती परीक्षा आयोजित की
परीक्षा से डेढ़ घंटे पहले पेपर लीक
अब तक 22 अधिकारी-कर्मचारी बर्खास्त
पेपर लीक की CBI जांच की मांग

पटवारी भर्ती 2021
परीक्षा में डमी अभ्यर्थी बिठाने का मामला सामने आया
अब तक इस मामले में 50 से अधिक गिरफ्तारियां

2020 में कोरोना के मामलों को देखते भर्ती निकली
लैब टेक्नीशियन के 1119
सहायक रेडियोग्राफर के 1058
ईसीजी टेक्नीशियन के 195 पदों पर भर्ती
इन तीनों भर्तियों में फर्जी डिग्री विवाद  

चिकित्सा अधिकारी भर्ती –2020
RUHS की ओर से 2 हजार पदों पर चिकित्सा अधिकारी भर्ती
दो बार ऑनलाइन परीक्षा तकनीकी खामी की वजह से रद्द
RUHS को आखिर तीसरी बार में सफलता मिली

प्री-प्राइमरी शिक्षक-2019
चयन बोर्ड को 6 हजार पदों पर भर्ती करनी थी
फर्जी डिग्रियों पर विवाद, परिणाम अटका

कांस्टेबल भर्ती-2019
पुलिस मुख्यालय की ओर से 5438 पदों के लिए परीक्षा
जिलावार मेरिट को लेकर बड़ा विवाद हो गया
हाईकोर्ट में मामला पहुंचा, रिजल्ट का इंतजार

RAS भर्ती-2018
RPSC ने 1051 पदों के लिए परीक्षा कराई
इंटरव्यू में पास कराने के नाम पर घूसकांड का खुलासा हुआ
शिक्षा मंत्री का रिश्तेदारों के टॉपर से ज्यादा नंबर का विवाद

JEN भर्ती-2018
कर्मचारी चयन बोर्ड की तरफ से 533 पदों के लिए परीक्षा आयोजित
6 दिसंबर 2020 को पेपर आउट हो गया

स्कूल लेक्चरर -2018
5000 पदों के लिए भर्ती निकली
पद बढ़ाए बिना ही 14% अतिरिक्त आरक्षण लागू किया गया
689 पदों की कटौती की से बेरोजगार हुए छात्र कर रहे संघर्ष

लाइब्रेरियन भर्ती –2018
700 पदों पर भर्ती के लिए 29 दिसंबर 2019 को परीक्षा
परीक्षा के दो घंटे पहले ही पेपर आउट हो गया था
19 सितंबर 2020 को फिर से परीक्षा

फार्मासिस्ट भर्ती –2018
1736 पदों के लिए परीक्षा होनी थी
5 बार तारीख के ऐलान के बाद भी नहीं हुई परीक्षा
परीक्षा निरस्त होने के बाद छात्रों का इंतजार जारी
यह तीन भर्तियां, तीनों में फर्जी डिग्री विवाद

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