राजस्थान में एक ऐसा मंदिर जहां तिजोरी से बरस रहे करोड़ों रुपए, 5 दिन से हो रही गिनती...कैश देखकर दंग रह गए लोग

चित्तौड़गढ़ में सांवलिया सेठ मंदिर देश के बड़े मंदिर तिरुपति बालाजी, पद्मनाभ , शिर्डी साईं बाबा के मंदिरों में शुमार है। यहां दानपेटी से हर बार करीब 4 से 5 किलो सोना और कई किलो चांदी और करोड़ों रुपए निकाला जाता है।
 


 चित्तौड़गढ़. राजस्थान ही नहीं देश का सबसे धनी कृष्ण मंदिर है राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित सांवलिया सेठ का मंदिर । हर महीने के अंत में पूजा पाठ के बाद मंदिर में रखे हुए बड़े-बड़े दानपात्र खोले जाते हैं उसके बाद छह-सात दिन तक लगातार 15 से ज्यादा लोगों का स्टाफ दानपात्र में आने वाले दान को गिनना शुरु करता है । उसके बाद सोने और चांदी के जेवर का मूल्य लगाया जाता है और इन सब को गिनने के बाद नियमानुसार सांवलिया सेठ के खातों में जमा करा दिया जाता है । 

सेठ की तिजोरी से बरसे करोड़ों रुपए 
इस बार सांवलिया सेठ की तिजोरी मंगलवार को खोली गई और कल शाम तक गणना की जाती रही । इस बार करीब ₹120000000 से ज्यादा कैस सांवलिया सेठ के दान पात्रों से निकला है । करीब 2 से ढाई करोड़ रुपए के सोने और चांदी के जेवर अलग है, जिनको इस महीने के अंत तक नियमानुसार वजन करके सांवलिया सेठ की तिजोरी में रखा जाएगा।

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सांवरिया सेठ का मंदिर देश के 5 बड़े मंदिरों में शुमार 
 दरअसल सांवलिया सेठ का मंदिर देश के टॉप 5 मंदिरों में शामिल है, चढ़ावे के नाम पर । मंदिर प्रबंधन का कहना है कि सांवलिया सेठ को भक्तगण अपना बिजनेस पार्टनर मानते हैं । उसी के हिसाब से बिजनेस में जो प्रॉफिट होता है उसका प्रतिशत सांवलिया सेठ के मंदिर में चढ़ाया जाता है । मंदिर में जल्द ही ऑनलाइन भुगतान की भी तैयारियां की जा रही है।  तिरुपति बालाजी मंदिर , पद्मनाभ मंदिर,  शिर्डी साईं बाबा के मंदिर के अलावा सांवरिया सेठ का मंदिर देश के 5 बड़े मंदिरों में शुमार है। 

 5 दिन से 25 लोग दानपात्र से निकले दान की कर रहे गिनती
 मंदिर प्रबंधन का कहना है कि हर महीने गणना के लिए करीब 20 से 25 लोगों की पूरी टीम लगाई जाती है । जिसमें मंदिर कमेटी के अलावा स्थानीय लोग रहते हैं।  यह हर दिन कुछ घंटे मंदिर से निकले नोटों की गणना करते हैं । प्रबंधन कमेटी ने बताया कि क्योंकि भक्तगण सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर मानते हैं इस कारण कई बार तो मंदिर के बाहर नई नवेली कारें खड़ी रहती हैं और उनकी चाबियां दानपात्र में डाल दी जाती है।  यह गाड़ियां भक्तों की ओर से सांवलिया सेठ को भेंट की जाती है ।

देश का पहला कृष्ण मंदिर जहां आता है इतना चढ़ावा
हर बार करीब 4 से 5 किलो सोना और कई किलो चांदी दान पात्रों में से निकलती है । मंदिर प्रबंधन कमेटी का कहना है कि पूरा पैसा मंदिर के निर्माण कार्य और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च होता है और इसका पूरा लेखा-जोखा तैयार किया जाता है। सांवलिया सेठ का मंदिर देश का पहला कृष्ण मंदिर है जो चढ़ावे को लेकर इतना मशहूर है।

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