राहुल गांधी के बयान पर सतीश पुनिया का पलटवार, कहा- भारत के टुकड़े करने वाले देश जोड़ने की बात कर रहे

राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने कहा कि सब जानते हैं कि नेहरू की सत्ता की महत्वाकांक्षा और जिन्ना की सत्ता की महत्वाकांक्षा ने भारत के टुकड़े किए। भारत के टुकड़े करने वाले जोड़ने की बात करते हैं तो हास्यास्पद है

Ujjwal Singh | Published : Nov 18, 2022 8:11 AM IST / Updated: Nov 18 2022, 01:43 PM IST

जयपुर(Rajasthan).  वीर सावरकर को लेकर राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान पर राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने कड़ा पलटवार किया है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी इस समय भारत जोड़ो यात्रा पर हैं, भारत के लोग जानते हैं कि अखंड भारत के टुकड़े करने में किसका योगदान था, सत्ता की लिप्सा और महत्वाकांक्षा ने भारत और पाकिस्तान के दो टुकड़े किए। अब ऐसे लोग भारत जोड़ने की बात कर रहे हैं।

राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने कहा कि सब जानते हैं कि नेहरू की सत्ता की महत्वाकांक्षा और जिन्ना की सत्ता की महत्वाकांक्षा ने भारत के टुकड़े किए। भारत के टुकड़े करने वाले जोड़ने की बात करते हैं तो हास्यास्पद है, कितना भी करें लेकिन जब वह यात्रा पर निकले और वह अमर बलिदानियों के अपमान की बात करते हैं, यह देश में कांग्रेस की ओछी राजनीति को प्रेरित करता है।

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राहुल गांधी पर साधा निशाना 
डॉ. सतीश पूनियां ने कहा कि वीर सावरकर को लेकर उन्होंने जो टिप्पणी की है, वह उनकी अपरिपक्वता तो है ही, लेकिन शायद उन्होंने भारत का वह उजला इतिहास नहीं पढ़ा। उन अमर बलिदानियों के प्रति कांग्रेस के लोगों की अपमान करने की फितरत हमेशा से रही है। उन्होंने जिस तरीके की बयानबाजी की है, यह याद आता है कि यह वही लोग हैं जिन्होंने भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण में रोड़े अटकाये, जिन्होंने 370 के हटने का विरोध किया। जिनको तिरंगे से कोई सरोकार नहीं, संविधान से सरोकार नहीं, वंदे मातरम से सरोकार नहीं, और तो और रामसेतु के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हैं कि राम काल्पनिक पात्र थे।

राहुल गांधी वंशवाद और विलासिता के प्रतीक- सतीश पुनिया 
डॉ. सतीश पूनियां ने कहा राहुल गांधी का बयान ये साबित करता है कि राहुल गांधी वंशवाद की उस विलासिता के प्रतीक हैं। जिन्होंने ना संघर्ष किया, ना देखा, ना पढ़ा, ना समझा और स्वाभाविक है उनकी नजर में जब अकबर महान हो सकते हैं तो सावरकर के प्रति उनका श्रद्धा भाव कैसे जागृत होता। 

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