अगर लोग डरपोक बनकर पीछे न हटते, तो इस युवा इंजीनियर को अपने दोनों पैर न गंवाने पड़ते

Published : Sep 07, 2019, 07:10 PM IST
अगर लोग डरपोक बनकर पीछे न हटते, तो इस युवा इंजीनियर को अपने दोनों पैर न गंवाने पड़ते

सार

यह घटना एक ALERT है। अगर आप अपने साथ के लोगों की मदद नहीं करेंगे, तो ऐसे हादसे किसी के साथ भी हो सकते हैं। मामला ट्रेन में लूट का है। यह बहादुर इंजीनियर अकेले लुटेरों से लड़ता रहा, लेकिन कोई भी उसकी मदद को आगे नहीं आया।

कोटा. राजस्थान के कोटा में एक बहादुर इंजीनियर को डरपोक साथी यात्रियों के कारण अपने दोनों पैर गंवाने पड़ गए। यह हैं दीपक शुक्ला। पेशे से साफ्टवेयर इंजीनियर। मूलत: कोटा के रहने वाले दीपक दिल्ली में जॉब करते हैं। कुछ दिन पहले वे अपने घर आए हुए थे। 5 सितंबर को उन्हें दिल्ली लौटना था। दीपक हजरत निजामुद्दीन इंटरसिटी के जनरल डिब्बे में सवार हुए। रास्ते में ट्रेन में 3-4 लुटेरे चढ़ गए। वे एक-एक करके यात्रियों को लूटने लगे। दीपक से यह देखा नहीं गया। वे लुटेरों को विरोध करने लगे।

दीपक लुटेरों से अकेले भिड़ते रहे, लेकिन बाकी यात्री चुपचाप बैठे रहे। इससे लुटेरों को दुस्साहस बढ़ गया और दीपक को ओखला के पास ट्रेन से फेंक दिया। हादसे में दीपक के घुटनों तक दोनों पैर कट गए। बाद में कुछ यात्रियों ने दीपक को हॉस्पिटल में भर्ती कराया। दीपक का अभी अपोले हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। दीपक का कहना है कि इस घटना को लेकर रेलवे प्रशासन ने लापरवाही दिखाई। उन्होंने निजामुद्दीन स्टेशन पर मामला दर्ज करा दिया था, मगर अब तक लुटेरों तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है। वहीं लूट के दौरान ट्रेन में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने भी कोई मदद नहीं की।

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