
सीकर. मामला चिड़ावा कस्बे के शाहपुरा तन सिंघाना का है। यहां माता-पिता को किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर जाना था। बच्चों को संभालने वाला कोई नहीं था। यह बच्चों की फिक्र थी या लापरवाही, उन्होंने दोनों बच्चों को चारपाई पर जंजीर से बांधा और घर से निकल गए। शाम तक बच्चे रोते-बिलखते रहे। जब पड़ोसियों ने उनके रोने की आवाजें सुनीं, तब उन्होंने जाकर देखा। बाद में पुलिस को भी सूचित किया गया। बच्चे बेहद डरे हुए थे। वे भूखे-प्यासे थे। इससे उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। हालांकि मां उनके लिए पास ही रोटियां रखकर गई थीं, लेकिन बच्चे इतने सहमे हुए थे कि उन्होंने शायद खाना भी नहीं खाया। ये बच्चे ढाई और डेढ़ साल के थे।
दिनभर बंधे-बंधे बिलखते रहे बच्चे..
बच्चों के माता-पिता बच्चे महेंद्र वाल्मीकि और रेखा नगर पालिका में सफाई कर्मचारी हैं। इनके एक 6 साल का और बेटा है। ये तीनों किसी काम के सिलसिले में दूसरे शहर गए थे। पड़ोसियों ने जब बच्चों को देखा, तो वे बेहोशी की हालत में थे। इसके बाद पड़ोसियों ने सबसे पहले बच्चो को दूध पिलाया। फिर पुलिस को सूचित किया। कांस्टेबल श्रवण कुमार बच्चों को लेकर हॉस्पिटल गए। डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि बच्चों के शरीर में पानी कमी हो गई थी। बच्चों की हालत देखकर सब हैरान थे कि कोई माता-पिता इतने छोटे बच्चों को इस तरह बांधकर 150 किमी दूर गोगामेड़ी कैसे काम पर जा सकता है?
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