अगर आपके घर में हैं छोटे बच्चे, तो होशियार रहें, इस बच्ची की शरारत से डॉक्टरों तक के हाथ-पैर फूल गए थे

यह 5 साल की बच्ची ईएनटी के स्पेशलिस्ट के लिए एक चुनौती बन गई थी। बच्ची ने एक ऐसा चिकना पत्थर निगल लिया था कि उसे बाहर निकालने में डॉक्टरों के पसीने छूट गए। डॉक्टर जैसे ही पत्थर बाहर निकालने को होते, वो छूटकर वापस नीचे चला जाता। बच्ची की जिंदगी के लिए खतरा बढ़ता जा रहा था। लिहाजा, एक पूरी टीम बनानी पड़ी। इसमें 10 डॉक्टरों के अलावा बाकी लोग भी शामिल थे। आखिरकार बच्ची की जान बचा ली गई। मामला राजस्थान के बीकानेर का है।

Asianet News Hindi | Published : Jun 8, 2020 5:49 AM IST

बीकानेर, राजस्थान. अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं, तो सावधान रहने की जरूरत है। बच्चे हैं, तो शरारत करेंगे, लेकिन उन्हें समय-समय पर सही और गलत आदतों के बारे में बताना परिवार की जिम्मेदारी भी है। यह और बात है कि कभी-कभार बच्चे जाने-अनजाने में भी खुरापात कर बैठते हैं। यह 5 साल की बच्ची ईएनटी के स्पेशलिस्ट के लिए एक चुनौती बन गई थी। बच्ची ने एक ऐसा चिकना पत्थर निगल लिया था कि उसे बाहर निकालने में डॉक्टरों के पसीने छूट गए। डॉक्टर जैसे ही पत्थर बाहर निकालने को होते, वो छूटकर वापस नीचे चला जाता। बच्ची की जिंदगी के लिए खतरा बढ़ता जा रहा था। लिहाजा, एक पूरी टीम बनानी पड़ी। इसमें 10 डॉक्टरों के अलावा बाकी लोग भी शामिल थे। आखिरकार बच्ची की जान बचा ली गई। मामला राजस्थान के बीकानेर का है।

चिकना पत्थर होने से ऑपरेशन में हुई दिक्कत
इस बच्ची का ऑपरेशन बीकानेर के ईएनटी हॉस्पिटल में किया गया। बच्ची को उसके परिजन गले में दिक्कत और श्वांस लेने में तकलीफ के बाद पीबीएम पीडिएट्रिक हॉस्पिटल लाए थे। चेकअप के बाद डॉक्टर समझ गए कि बच्ची ने कुछ निगला है। उसे वहां से ईएनटी हॉस्पिटल भेज दिया गया। यहां के डॉक्टरों की मानें, तो वे सालभर में ऐसे 200 बच्चों को इलाज करते हैं, जो कुछ निगल लेते हैं। डॉक्टर एंडोस्कोप के जरिये 10-20 मिनट में चीज निकाल देते हैं। लेकिन इस बच्ची के मामले में ऐसा नहीं था। दरअसल, बच्ची ने चिकना पत्थर निगला था। उसे डॉक्टर निकालने को होते, तो वो विंड पाइप तक आकर फिर से छूट जाता।
 

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बनानी पड़ी टीम..

बच्ची की जान बचाने डॉक्टरों ने ईएनटी-एनस्थीसिया के 10 डॉक्टरों, नर्सों और ओटी स्टाफ के साथ दो स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की एक टीम बनाई। ये स्पेशलिस्ट थे ईएनटी के प्रोफेसर-एचओडी डॉ. दीपचंद और डॉ. गौरव गुप्ता। इसके बाद बच्ची के गले में छेद करके पत्थर निकाला गया। बच्ची को दो दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों ने बताया कि इस तरह के कई सालों में आते हैं।

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