
सीकर. जम्मू कश्मीर में तीन दिन पहले हुई सीकर के महरौली गांव निवासी बीएसएफ जवान रामदेव सिंह की मौत पहेली बन गई है। बीएसएफ ने मौत को जहां आत्महत्या बताया है वहीं परिवार इसे कोई साजिश मान रहा है। जवान के बेटे का कहना है कि पिता खुश मिजाज इंसान थे। जो उनके लगातार संपर्क में थे। तीन दिन पहले भी उनसे फोन पर बात हुई थी। लेकिन कभी भी परिवार को किसी दुख या तकलीफ के बारे में नहीं बताया। ऐसे इंसान का कमरे में खून से सना शव मिलना संदिग्ध है। जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। फिलहाल मामले में आर्मी कोर्ट ने जांच बिठा दी है। गौरतलब है कि 25 जुलाई को रामदेव सिंह जम्मू कश्मीर में अपने कमरे में मृत हालत में मिले थे। जिनके शरीर से खून बहने के साथ पास में बंदूक मिली थी। मंगलवार को शव का अंतिम संस्कार किया गया था।
बेटे ने कहा- घर आने वाले थे पिता
मृतक जवान रामदेव सिंह के बेटे संदीप ने कहा कि उसके पिता को किसी तरह का तनाव नहीं था। चार पांच दिन बाद ही वह छुट्टी पर गांव आने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन, इससे पहले अचानक ही उनकी मौत की खबर परिवार के लिए बड़ा सदमा है। हादसे को आत्महत्या बताने पर तो परिवार में किसी को भी उस पर विश्वास नहीं हुआ। संदीप ने कहा कि पिछले दिनों ही रामदेव सिंह 1 महीने की छुट्टी पर गांव आये थे। यदि किसी तरह की कोई परेशानी होती तो वे परिवार को जरूर कहते। लेकिन, पूरा समय उन्होंने बिना किसी तनाव व निराशा के बिताया। जिससे उनकी मौत आत्महत्या कम व साजिश ज्यादा लग रही है।
पिता ही निभा रहे थे मां की भूमिका
संदीप ने बताया कि उनकी मां मनोहरी देवी का बीमारी की वजह से 2000 में ही निधन हो गया था। तब से उनके पिता रामदेव सिंह ने ही उनके व भाई कुलदीप के लिए मां की भूमिका निभाते हुए दोनों का पालन- पोषण कर सरकारी नौकरी के मुकाम तक पहुंचाया। उन्हें आर्थिक या पारिवारिक किसी तरह की कोई समस्या नहीं थी। पर सोमवार सुबह अचानक बीएसएफ अधिकारी ने फोन कर पिता के आत्महत्या करने की बात कह दी। बकौल संदीप पिता के साथी जवानों को भी उनके आत्महत्या किए जाने पर यकीन नहीं है।
अखनूर में थे तैनात, 1986 में हुए थे भर्ती
सीकर के श्रीमाधोपुर थाना इलाके के महरौली गांव निवासी रामदेव सिंह जम्मू कश्मीर के अखनूर में एक चौकी पर तैनात थे। जो 1986 में बीएसएफ की 12 वीं बटालियन में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। पश्चिम बंगाल व पंजाब सहित कई बॉर्डर इलाकों में तैनाती के बाद तीन साल पहले ही उनकी नियुक्ति जम्मू कश्मीर में हुई थी। सब इंस्पेक्टर पद पर भी कुछ साल पहले ही वे पदोन्नत हुए थे।
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