स्पेशल स्टोरी: गो सेवा की अनूठी मिसाल बना इंजीनियर संतोष, बिलखते बछड़े को देख लिया फैसला, लोग कर रहे तारीफ

Published : Sep 20, 2022, 01:39 PM ISTUpdated : Sep 20, 2022, 01:40 PM IST
स्पेशल स्टोरी: गो सेवा की अनूठी मिसाल बना इंजीनियर संतोष, बिलखते बछड़े को देख लिया फैसला, लोग कर रहे तारीफ

सार

राजस्थान के सीकर जिले के रहने वाले एक इंजीनियर के काम की तारीफ लोग कर रहे है। लंपी वायरस की शिकार हुई मवेशियों का उसने अपने हाथों से अंतिम संस्कार किया। अपने खर्च पर उसने अभी तक 240 गायों को दफनाने का काम किया है।

सीकर. राजस्थान में लंपी वायरस से बढ़ी गायों की मौत के बीच सीकर का एक इंजीनियर गो सेवा की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है। लक्ष्मणगढ़ का भिलूंडा गांव निवासी इंजीनियर संतोष बाजड़ोलिया आसपास के छह गांवों में गायों के उपचार के साथ अपने खर्च व हाथों से उनका अंतिम संस्कार कर रहा है। आलम ये है कि गायों की बीमारी या मौत की सूचना मिलते ही वह अपना सारा काम छोड़कर वहां पहुंच जाता है। जहां बीमार गायों के उपचार के साथ मौत होने पर वह गाय को जोहड़ी में ले जाकर खुद गड्ढा खोद कर उसकी अंतिम क्रिया करता है। उसकी गो सेवा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक महीने में ही वह 240 गायों का अंतिम संस्कार कर चुका है। 

यूं शुरू की सेवा
संतोष के गो- सेवा की शुरुआत करीब एक महीने पहले हुई। संतोष के अनुसार लंबी से मर रही गायों को जोहड़ों में खुले में डालने से गांवों में जगह जगह दुर्गंध का माहौल देखने को मिल रहा था। इसी दौरान गांव में एक परिवार में गाय की मौत हुई तो उसने गाय के पास बिलखते बछड़े व परिवार वालों को भी देखा। जिससे उसका ह्रदय परिवर्तित हो गया। उसने उसी दिन बीमार गायों के उपचार की कोशिश के साथ मृत गायों का अंतिम संस्कार अपने स्तर पर करने का फैसला ले लिया। 

खुद के लोडर से छह गांवों में सेवा
संतोष इंजीनियरिंग कर पूणे में चार लाख रुपए के पैकेज की नौकरी छोड़ लोको पायलट परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुका है। पर परिवार का सहारा बनने के लिए उसने खेती को ही चुना। काम के लिए उसने एक ट्रेक्टर लोडर भी खरीद लिया। इसी लोडर को वह गो सेवा का जरिया बनाए हुए है। भिलुंडा गांव के अलावा वह आसपास के चंदपुरा, बजाड़ों की ढाणी, सेवदा की ढाणी, रुल्याण पट्टी, भाखरों की ढाणी सहित आसपास के गांवों में गाय की मौत की सूचना पर अपने ड्राइवर महेन्द्र के साथ तुरंत मौके पर पहुंच जाता है। जहां से दोनों गाय को उठाकर एक जोहड़ी में ले जाकर दफना देते हैं। 

एक गाय पर 500 रुपए का खर्च, अब तक 240 का अंतिम संस्कार
गाय के मरने पर उसे ले जाकर दफनाने तक का अमूमन 500 रुपए खर्च होता है। लेकिन, संतोष ये पूरा काम अपने स्तर पर निशुल्क कर रहा है। बकौल संतोष पिछले एक महीने में वह 240 गायों का अंतिम संस्कार कर चुका है। जिसका बकायदा उसने रिकॉर्ड भी तैयार कर रखा है।

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